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नयी दिल्ली। केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने कश्मीर में मानवाधिकार के कथित उल्लंघन पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (यूएनएचसीआर) की रिपोर्ट को ‘व्यक्तिगत रिपोर्ट’ करार देते हुए कहा कि इसका अंतरराष्ट्रीय निकाय से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने यहां एक कार्यक्रम से इतर इस मुद्दे पर एक सवाल के जवाब में कहा कि उस रिपोर्ट का संयुक्त राष्ट्र से कोई लेना – देना नहीं है। वह व्यक्तिगत रिपोर्ट थी।
इस सप्ताह की शुरूआत में संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त जैद राद अल हुसैन की 14 जून की रिपोर्ट का उल्लेख किया था। यह रिपोर्ट का जिक्र सुरक्षा परिषद में बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर चर्चा के दौरान किया गया था।
रिपोर्ट में अल हुसैन ने कश्मीर में मानवाधिकारों की स्थिति की मानवाधिकार परिषद से जांच कराने की मांग की है। परिषद स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच करेगा। रिपोर्ट में कही गई बातों का जोरदार खंडन करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी उप प्रतिनिधि तन्मय लाल ने कहा कि कथित रिपोर्ट एक अधिकारी के स्पष्ट पूर्वाग्रह को दर्शाती है , जो बिना आदेश के काम कर रहा था और उसने सूचना के अपुष्ट स्रोतों पर भरोसा किया।
मीडिया में आई खबरों के अनुसार कनाडा में बसे पाकिस्तानी मूल के पत्रकार जफर बंगश ने दावा किया है कि विवादास्पद रिपोर्ट तैयार करने के दौरान अल हुसैन उनके साथ संपर्क में थे। इस रिपोर्ट को भारत ने खारिज कर दिया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कल रिपोर्ट को पेश करने की मंशा पर कल सवाल उठाया था। नयी दिल्ली में ग्लोबल डायलॉग सेक्युरिटी समिट में एक संगोष्ठी में वी के सिंह ने कहा, ऐतिहासिक रूप से भारत का महाद्वीपीय नजरिया रहा है। इसका कभी वैश्विक नजरिया नहीं रहा है। पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि इसी वजह से भारत सीमाओं के भीतर रहा है और व्यापक रूप से कहीं और जाने का साहस नहीं किया है। हालांकि हमारी संस्कृति, सॉफ्ट पावर और धर्म कई स्थानों तक पहुंचा है।