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Anil Ghanwat on Farm Laws: कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी के सदस्य अनिल घनवट ने कहा कि अगर एमएसपी को लेकर कानून बनाया गया तो भारतीय अर्थव्यवस्था को संकट झेलना पड़ेगा. घनवट ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि अगर एमएसपी पर कानून बनाया गया तो भारत को संकट झेलना पड़ेगा. कानून के मुताबिक यदि किसी दिन (खरीद) प्रक्रिया नीचे जाती है, तो कोई भी उत्पाद नहीं खरीद पाएगा क्योंकि इसे एमएसपी से कम कीमत पर खरीदना अवैध होगा और उन्हें (व्यापारियों को) इसके लिए जेल में डाल दिया जाएगा.
घनवट का बयान ऐसे मौके पर आया है, जब किसान एमएसपी के लिए कानून बनाने को लेकर अड़े हुए हैं. मोदी सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर चुकी है. शेतकारी संगठन के प्रमुख घनवट ने कहा कि किसानों और केंद्र सरकारों को किसानों की आय बढ़ाने के लिए कोई और रास्ता सोचना चाहिए. एमएसपी पर कानून बनाना कोई हल नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘यह एक आपदा होगी क्योंकि इससे न सिर्फ व्यापारियों को बल्कि स्टॉकिस्ट को भी नुकसान होगा. साथ ही उन्हें भी जो इससे जुड़े हुए हैं. कमोडिटी बाजार भी अस्त-व्यस्त हो जाएगा. उन्होंने कहा, हम एमएसपी के खिलाफ नहीं हैं. लेकिन खुली खरीद एक समस्या है. हमें बफर स्टॉक के लिए 41 लाख टन अनाज की जरूरत है लेकिन 110 लाख टन की खरीद की. अगर एमएसपी कानून बना दिया गया तो सारे किसान अपनी फसलों के लिए एमएसपी की डिमांड करेंगे और कोई भी इससे लाभ कमाने की स्थिति में नहीं होगा’.
#WATCH | Anil Ghanwat, member of SC-appointed committee on three farm laws, says India will face a crisis if a law on MSP is made.
“Govt & farmers leaders should think of some other way. MSP is not a solution. It will not only harm farmers, but traders & stockists also,” he says pic.twitter.com/ljnYEO6nJu
— ANI (@ANI) November 22, 2021
घनवट ने कृषि कानूनों को वापस लेने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. उन्होंने कहा, ‘किसान पिछले 40 साल से सुधार की मांग कर रहे थे. यह अच्छा कदम नहीं है. मौजूदा कृषि का सिस्टम काफी नहीं है. उन्होंने कहा कि भले ही तीनों नए कानून बहुत परफेक्ट नहीं थे. कुछ ऐसी कमियां थीं, जिन्हें सही करने की जरूरत है. मुझे लगता है कि इस सरकार में कृषि में सुधार लाने की इच्छाशक्ति है क्योंकि पिछली सरकारों में राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं थी. मुझे उम्मीद है कि सभी राज्यों के विपक्षी नेताओं और कृषि नेताओं की एक और समिति बनाई जाएगी और फिर संसद में नए कृषि कानूनों पर चर्चा की जाएगी और उन्हें पेश किया जाएगा’.
घनवट ने कहा, ‘सरकार को देश भी चलाना होता है और राजनीति भी करनी होती है. कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन के चलते कानून एवं व्यवस्था की स्थिति भी खड़ी हो रही थी. इसलिए शायद उन्हें लगा होगा कि अगर स्थिति ऐसी ही रही तो आगामी उत्तर प्रदेश चुनाव में उनके लिए चीजें आसान नहीं होंगी और वे हार भी सकते हैं. इसलिए नुकसान से बचने के लिए उन्होंने ये कदम उठाया’.
घनवट ने यह भी कहा, ‘किसानों को अपने उत्पादों में विविधता लानी चाहिए और उच्च मूल्य वाली फसलों को उगाना चाहिए ताकि उन्हें ज्यादा रिटर्न मिले. उन्होंने कहा, ‘हमें आवश्यक वस्तु अधिनियम को रद्द करना होगा क्योंकि इसका उपयोग किसानों के खिलाफ एक हथियार के रूप में किया जाता है. जब भी कीमतें बढ़ती हैं, तो किसानों को कुछ लाभ मिलता है, सरकार दखल देती है और स्टॉक सीमा में डाल देती है. यह परिवहन सीमा पर और भी अधिक ब्याज लगाता है. निर्यात पर भी बैन लग जाता है. ये वे हथियार हैं जिनका उपयोग कृषि उपज की कीमतों को कम करने के लिए किया जाता है जो किसानों को नुकसान पहुंचा रहा है.’
उन्होंने कहा, ‘ये तीन कृषि कानून इस सरकार की ओर से कृषि को कुछ स्वतंत्रता देने की एक कोशिश थी, लेकिन दुर्भाग्य यह रहा कि अब हमने इन्हें खो दिया है’.
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