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Safalta Ki Kunji: चाणक्य नीति कहती है कि रिश्तों को सदैव सम्मान करना चाहिए. जो व्यक्ति को रिश्तों को निभाने और मजबूत बनाने को लेकर गंभीर और सजग रहता है, उसे संकट के समय परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है.
रिश्तों को लेकर व्यक्ति को सदैव ही जागरूक रहना चाहिए. जो व्यक्ति जीवन में रिश्तों के महत्व को नहीं जानते हैं, वे समय आने पर दुख, संकट और बाधाओं का सामना करते हैं, वहीं जिन लोगों के रिश्ते मजबूत और मधुर होते हैं, वे जीवन में आने वाली बड़ी से बड़ी बाधाओं को भी आसानी से पार कर जाते हैं.
गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि रिश्ते मजबूत और मधुर होने चाहिए. वही रिश्ता श्रेष्ठ और सफल होता है, जिसमें त्याग, समर्पण और संवेदनाएं निहित होती है. वे रिश्ते कभी मजबूत और सफल नहीं होते हैं, जो स्वार्थ, लोभ और दबाव में बनाए जाते हैं. रिश्तों में अनुशासन और मर्यादा का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए. रिश्तों में इन बातों का कभी न आने दें, ये बातें रिश्तों को कमजोर बनाती है.
प्रेम- जिस रिश्ते में प्रेम नहीं है, वो रिश्ता अधिक दिनों तक नहीं चलता है. रिश्ता वही मजबूत और लंबे समय तक चलता है, जिसमें प्रेम बना रहता है. इसलिए रिश्ते में प्रेम की कभी कमी न आने दें.
लोभ- रिश्ते जब किसी लालच या लोभ को पूर्ण करने के लिए बनाए जाते हैं तो ये रिश्ते कमजोर होते हैं. इनमे मजबूती नहीं होती है. रिश्ता लोभ रहित होना चाहिए.
स्वार्थ- रिश्तों में कभी भी स्वार्थ नहीं आना चाहिए. जिन रिश्तों में स्वार्थ की भावना छिपी होती है, वे मधुर और मजबूत नहीं होते हैं. ये रिश्ते बहुत जल्द बिखर और टूट जाते हैं. स्वार्थ की भावना रिश्तों से दूर रखनी चाहिए.
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