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अफगानिस्तान के मजारे शरीफ से वापस बुलाए जा रहे हैं भारतीय राजनयिक

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नई दिल्ली: अफगानिस्तान में गंभीर होते सुरक्षा हालात के मद्देनजर भारत ने मजार-ए-शरीफ स्थित वाणिज्य दूतावास से भी अपने राजनयिकों और कर्मचारियों को वापस बुलाने का फैसला लिया है. जल्द ही अफगानिस्तान के चौथे सबसे बड़े शहर मजार ई शरीफ से तमाम भारतीय स्टाफ को सुरक्षित भारत लाया जा रहा है. साथ ही अफगानिस्तान में सभी भारतीय नागरिकों के लिए भी अधिक सख्त के साथ सुरक्षा चेतावनी जारी की जा रही है.

अफगानिस्तान के बाल्ख और तखार प्रांत में तालिबान लड़ाकों और अफगान सुरक्षाबलों के बीच तेज हुई लड़ाई के बीच यह फैसला लिया गया है. तालिबान ने उत्तरी बाल्ख के कई इलाकों पर कब्जा कर लिया है. मज़ार-ए-शरीफ बाल्ख प्रांत की राजधानी और अफगानिस्तान का चौथा सबसे बड़ा शहर है. 

उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक सुरक्षा हालात के आंकलन के आधार पर भारतीय कर्मचारियों को मजार शरीफ से हटाने का फैसला किया गया है. हालांकि अभी काबुल स्थित दूतावास में किसी तरह की कटौती का निर्णय नहीं किया गया है. 

अफगानिस्तान में हालात गंभीर
अफगानिस्तान में लगातार लहराब होते सुरक्षा हालात और तालिबान हमलों के मद्देनजर भारत पहले ही कंधार के वाणिज्यिक दूतावास से अपने राजनयिकों और स्टाफ हो वापस लौटा चुका है. साथ ही सुरक्षा आंकलनों के मद्देनजर ही हेरात और जलालाबाद के वाणिज्य दूतावासों से अपने स्टाफ को लौटा कर वहां कामकाज अस्थाई तौर पर बंद कर चुका है. 

इतना ही नहीं अफगानिस्तान में मौजूद सभी भारतीय नागरिकों के लिए भी अधिक सख्त सुरक्षा हिदायतओं के साथ एडवाइजरी भी जारी की जा रही है. सूत्रों के अनुसार गैर राजनयिक कामों से जुड़े सभी भारतीय नागरिकों को जल्द से जल्द अफगानिस्तान छोड़ने के लिए कहा जा रहा है.

अफगानिस्तान से भारत आने वालों की पूरी मदद की जाएगी
इस बीच सरकार ने संकेत दिए हैं कि अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक हिन्दू और सिख भी अगर सुरक्षित पनाह के लिए अस्थाई तौर पर भारत आना चाहेंगे तो उनकी पूरी मदद की जाएगी. हालांकि सरकारी सूत्रों ने साफ किया कि अभी तक किसी विशेष निकासी अभियान या उड़ानों की कोई योजना नहीं है. क्योंकि अफगानिस्तान के काबुल एयरपोर्ट से व्यावसायिक उड़ानों की आवाजाही जारी है.

ध्यान रहे कि अफगानिस्तान में तालिबान और अफगान सुरक्षाबलों के बीच तेज होती लड़ाई में तालिबानी लड़ाके तेज़ी से बड़ी इलाके पर कब्जा करते जा रहे हैं. इसके मद्देनजर भारत की भी चिंताएं बढ़ी हैं. हालाँकि भारतीय रणनीतिकारों का मानना है कि मौजूदा स्थिति में तालिबान के लिए पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा करना मुश्किल है. ऐसे में काबुल पर कब्जा करने में भी उन्हें वक्त लगेगा. साथ ही सीधे तौर पर सत्ता का सैनिक टेकओवर तालिबान के लिए भी मुश्किल है बढ़ा देगा.

बरहाल इन तमाम आकलनओं के बीच इतना जरूर है कि अफगानिस्तान के डामाडोल हालत में भारत की राजनीतिक चुनौतियां बढ़ा दी है. इसमें जहां एक तरफ अफगानिस्तान में खड़े किए गए रणनीतिक निवेश पर खतरा है वहीं इस बात की आशंका भी कम नहीं कि अफगानिस्तान से बहने वाला आतंकी लावा भारत की सरहदों को भी प्रभावित कर सकता है.

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