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मध्य प्रदेश में जहरीली शराब मामले में होगी मौत की सजा, विधानसभा ने पारित हुआ आबकारी विधेयक

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भोपालः मध्य प्रदेश विधानसभा ने मंगलवार को ‘मध्य प्रदेश आबकारी (संशोधन) विधेयक 2021 को पारित कर दिया. इसमें जहरीली शराब के सेवन से हुई मौतों से संबंधित मामलों में मृत्युदंड और आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है. इस विधेयक में 20 लाख रुपये के जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है. राज्यपाल द्वारा मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा. हाल ही में मंदसौर और इंदौर में कथित रूप से जहरीली शराब पीने से कम से कम 12 लोगों की मौत के कारण प्रदेश सरकार ने यह कदम उठाया है.

जगदीश देवड़ा ने पेश किया विधेयक

प्रदेश के वाणिज्यकर मंत्री जगदीश देवड़ा ने इस विधेयक को सदन में पेश किया, जिसे बिना चर्चा के ध्वनिमत से पारित कर दिया गया. जब यह विधेयक पारित हुआ, उस वक्त विपक्षी कांग्रेस सदस्य अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए कांग्रेस नीत प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा घोषित सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 27 प्रतिशत आरक्षण को लागू करने की मांग करते हुए नारेबाजी कर रहे थे.

मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘इस विधेयक में जहरीली शराब से सम्बन्धित अपराधों के लिए दण्ड का प्रावधान है. यदि जहरीली शराब के सेवन से किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो इस अपराध के लिए दोषी को आजीवन कारावास या मृत्युदण्ड और न्यूनतम 20 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है.’’

जहरीली शराब दिए जाने पर होगी सजा

उन्होंने कहा कि इस विधेयक में मानवीय उपयोग के लिए अनुपयुक्त अपमिश्रित मदिरा सेवन से शारीरिक क्षति होने पर पहली बार में न्यूनतम दो वर्ष और अधिकतम आठ वर्ष तक का कारावास और न्यूनतम दो लाख रूपये तक का जुर्माना और दूसरी बार अपराध करने पर न्यूनतम 10 वर्ष और अधिकतम 14 वर्ष तक का कारावास और न्यूनतम 10 लाख रूपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

अधिकारी ने बताया कि इसी तरह मानवीय उपयोग के लिए अनुपयुक्त अपमिश्रित मदिरा मिलने पर पहली बार में न्यूनतम छह माह और अधिकतम छह वर्ष तक का कारावास और न्यूनतम एक लाख रूपये तक का जुर्माना और दूसरी बार अपराध करने पर न्यूनतम छह वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष तक का कारावास और न्यूनतम पांच लाख रूपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

उन्होंने कहा कि किसी आबकारी अधिकारी द्वारा किसी भी ऐसे व्यक्ति को जो अधिनियम के अंतर्गत कर्त्तव्य निष्पादन में बाधा डाले या हमला करे, उसे गिरफ्तार भी किया जा सकेगा.

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