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संसद में लगे मारपीट के आरोप, पक्ष-विपक्ष के सांसदों ने बताया लोकतंत्र के लिए काला दिन

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Parliament Monsoon Session: मानसून सत्र के आखिरी दिन राज्यसभा में जमकर बवाल हुआ. सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने एक दूसरे पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप तक लगा दिया. राज्यसभा में जैसे ही केंद्र सरकार ने ओबीसी आरक्षण संशोधन बिल पास करवाने के बाद साधारण बीमा कारोबार संशोधन विधेयक पेश किया तो विपक्षी सांसदों ने उसको लेकर जमकर हंगामा किया लेकिन सरकार ने हंगामे के बीच इस बिल को भी पास करवा दिया. हालांकि इस दौरान सरकार का आरोप है कि विपक्षी सांसदों ने सदन में मौजूद मार्शलों और कर्मचारियों के साथ मारपीट की. वहीं विपक्षी सांसदों ने सरकार पर विपक्षी सांसदों और उनमें भी खास तौर पर महिला सांसदों के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए लोकतंत्र की हत्या तक करार दे दिया.

केंद्र सरकार ने जैसे ही राज्यसभा में साधारण बीमा कारोबार संशोधन विधेयक पेश किया तो विपक्षी सांसदों ने जमकर हंगामा शुरू कर दिया. विपक्षी सांसदों का हंगामा इस कदर बढ़ गया कि वेल में उतरे विपक्षी सांसदों ने कागज फाड़कर उनको उपसभापति के आसन की तरफ फेंक दिया. विपक्षी सांसदों के बर्ताव पर सदन में मौजूद मार्शलों और कर्मचारियों ने उनको रोकने की कोशिश की. इसके बाद माहौल और ज्यादा खराब हो गया और हाथापाई की नौबत तक आ गई.

गला घोंटने की कोशिश

इस हंगामे पर सदन के नेता पीयूष गोयल ने सदन में बयान देते हुए कहा कि विपक्षी सांसदों ने इस प्रदर्शन के दौरान एक महिला स्टाफ का गला घोंटने की कोशिश की. विपक्षी सांसदों ने बेहद भद्दा प्रदर्शन किया. पीयूष गोयल ने कहा कि पूरे मानसून सत्र के दौरान विपक्ष का जो आचरण रहा है वह संसद की गरिमा को तार-तार करने वाला रहा है. खुद राज्यसभा के सभापति, उपसभापति भी विपक्षी सांसदों के आचरण को लेकर सवाल उठा चुके हैं लेकिन फिर भी विपक्षी सांसद लगातार इस तरह का प्रदर्शन करते रहे. पीयूष गोयल ने कहा कि हम मांग करते हैं कि एक स्पेशल कमेटी का गठन किया जाए और इसकी जांच करवाई जाए.

वहीं राज्यसभा में सदन के उपनेता मुख्तार अब्बास नकवी ने इसको लोकतंत्र का अपमान बताया. मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि विपक्षी सांसदों ने लोकतंत्र का अपमान करने के साथ ही संसद की गरिमा को तार-तार किया है. सरकार के मंत्रियों के द्वारा दिए गए इन बयानों पर समूचा विपक्ष लामबंद नजर आया. समूचे विपक्ष ने संसद के आखिरी कुछ मिनटों में वॉकआउट कर दिया. शरद पवार ने इसको लोकतंत्र के लिए एक काला दिन बताते हुए कहा कि उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन काल में इस तरीके की घटनाएं नहीं देखी. वहीं मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सरकार ने विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए आज जिस तरह से बल का प्रयोग किया वह शर्मसार करने वाला है. शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा की विपक्षी महिला सांसद जब विरोध प्रदर्शन कर रही थी तो उनके साथ महिला मार्शलों की मदद से दुर्व्यवहार किया गया.

कुल मिलाकर संसद का पूरा मानसून सत्र जिस हंगामे के चलते रोजाना स्थगित हो रहा था, वहां सत्र के आखिरी दिन के आखिरी घंटे में स्थिति कुछ इस कदर खराब हो गई की सदन में मौजूद सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के सांसद ही इसको लोकतंत्र के लिए एक काला दिन करार देने लगे. इन सबके बीच नुकसान हुआ आम जनता का. क्योंकि इस हंगामे के चलते ना तो आम जनता से जुड़े हुए मुद्दों पर सदन में चर्चा हो पाई, ना ही सवाल जवाब हो सका और जो जनता के पैसे की बर्बादी हुई वह अलग…

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