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जैसलमेर में भारतीय सेना का ‘दक्षिण-शक्ति’ युद्धाभ्यास

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Rajasthan Military Exercise: निकट भविष्य में मल्टी-डोमेन युद्ध-क्षेत्र में किस तरह दुश्मन को एरियल-अटैक, हेली-बोर्न ऑपरेशन और स्वार्म-ड्रोन के जरिए छक्के छुड़ाने है, इसके लिए राजस्थान के रेगिस्तान में एक बड़े युद्धाभ्यास को भारतीय सेना ने पूरा किया है. दक्षिण-शक्ति नाम के इस युद्धाभ्यास में करीब 30 हजार सैनिकों ने हिस्सा लिया.‌ शुक्रवार को राजस्थान के जैसलमेर में दक्षिण-शक्ति युद्धाभ्यास का वेलिडेशन-पार्ट हुआ जिसमें अभी तक हुई वॉर-ड्रिल के अंतिम चरण को सीनियर कमांडर्स के सामने प्रदर्शित किया गया. गुरूवार को खुद थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे भी इस युद्धाभ्यास की समीक्षा करने जैसलमेर पहुंचे थे.

जैसलमेर में भारतीय सेना का युद्धाभ्यास

जानकारी के मुताबिक, एक्सरसाइज के आखिरी दिन सेना ने अटैक हेलीकॉप्टर, आसमान से पैरा जंप के जरिए रण-क्षेत्र में कमांडोज़ का फ्री-फाल और स्वार्म-ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल किया गया. साथ ही मैकेनाइज्ड कॉलम्स यानि टैंक और बीएमपी का भी युद्धभ्यास में इस्तेमाल किया गया. देश में थियेटर कमांड बनाने की दिशा में बढ़ते हुए गुजरात और राजस्थान में ‘दक्षिण-शक्ति’ नाम की बड़ी एक्सरसाइज को अंजाम दिया गया है. इस एक्सरसाइज में भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना के साथ साथ कोस्टगार्ड, गुजरात पुलिस, बीएसएफ और खुफिया एजेंसियों ने भी हिस्सा लिया.

दक्षिण-शक्ति युद्धाभ्यास में 30 हजार जवान हुए शामिल

दक्षिण-शक्ति युद्धभ्यास में करीब 30 हजार सैनिक और पुलिसकर्मियों ने हिस्सा लिया. माना जा रहा है कि कोरोना काल के बाद भारत की ये सबसे बड़ी एक्सरसाइज है और थलसेना की दक्षिणी कमान ने मल्टी-डोमेन एक्सरसाइज को आयोजित किया. दक्षिण-शक्ति युद्धभ्यास का मकसद देश में थियेटर कमान बनाने के तैयारी के लिए युद्ध की परिस्थितियों में सशस्त्र सेनाओं के साथ मल्टी एजेंसी यानि खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों से बेहतर तालमेल है शामिल है. यही वजह है कि सेना के साथ-साथ सीमा पर तैनात बीएसएफ और दूसरी खुफिया एजेंसियों को भी दक्षिण शक्ति एक्सरसाइज में शामिल किया गया है. इस एक्सरसाइज को एक साथ राजस्थान के रेगिस्तान में पाकिस्तान से सटी सीमा के साथ साथ गुजरात के रण ऑफ कच्छ और सर क्रीक इलाके में भी किया गया था.

देश में सेना के तीनों अंग यानि थलसेना, नौसेना और वायुसेना की साझा कमान बनाने पर जोरों से काम चल रहा है. थियेटर कमान बनने के बाद देश में तीनों अंगों के अलग-अलग कमान नहीं होंगी बल्कि थलसेना, वायुसेना और नौसेना की इंटीग्रेटेड कमान होगी. इससे तीनों अंगों के कार्यों में डुप्लीकेसी तो कम होगी ही लॉजिस्टिक ऑपरेशन्स में भी सुविधा होगी. साथ ही मार्डन वॉरफेयर में कोई भी अंग अकेले कोई युद्ध नहीं लड़ सकता है. ऐसे में थियेटर कमान बनाने से पहले ही  सभी सशस्त्र सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय और सहयोग के उद्देश्य से दक्षिण-शक्ति एक्सरसाइज को किया जा रहा है.

दक्षिण-शक्ति युद्धभ्यास का समापन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में 26 नबम्बर को जैसलमेर में ही होना था. लेकिन राजधानी दिल्ली में संविधान दिवस के चलते उनका आना रद्द हो गया था. इस दक्षिण-शक्ति एक्सरसाइज का एक हिस्सा ‘सागर-शक्ति’ (19-22 नबम्बर) तक गुजरात से सटे कच्छ के रण में पूरा हो चुका है. मुंबई के 26/11 हमले की 13वी बरसी पर ये युद्धभ्यास बेहद अहम हो जाता है. क्योंकि पाकिस्तान से सटे इस बेहद ही दुर्गम इलाके से आतंकियों की घुसपैठ,  ड्रग और आर्म्स स्मैगलिंग का खतरा हमेशा बना रहता है.

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