धर्म/अध्यात्म

सावन मास में बालहेश्वर शिव धाम लोगो की श्रद्धा व आस्था का केंद्र

रायबरेली, । करीब 675 वर्षो से आज भी  रायबरेली के डलमऊ तहसील में ऐहार गांव में स्तिथ बालहेश्वर शिव धाम लोगो की श्रद्धा व आस्था का केंद्र है।
शिव मंदिर के विषय मे प्रचलित है कि मंदिर में स्थापित शिवलिंग का प्राकट्य गाय के दूध से हुआ था।मंदिर के।मुख्य पुजारी पंडित झिलमिल महाराज के अनुसार बल्हेमऊ गांव के तिवारी परिवार जो कि गांव की गायें जंगल मे चरने जाया करती थी।अचानक एक गाय ने दूध देना बंद कर दिया तो उन्होंने सोचा कि शायद चरवाहा दूध की चोरी करता है।चरवाहे को रंगे हाथ पकड़ने के लिये एक दिन मालिक जाकर जंगलों में छुप कर बैठ गया।उसने जो देखा तो उसकी आंखें फ़टी रह गई,अचानक वही गाय झाड़ियों में जाकर खड़ी हो गई और उसके थन से दूध अपने आप गिरने लगा।मालिक ने जब नजदीक जाकर देखा तो दूध जमीन के एक गढ्ढे में जा रहा है।कथा के अनुसार मालिक जब घर लौटे तो रात में उन्हें स्वप्न में इसी स्थान पर  खुदाई से प्राप्त शिवलिंग पर मंदिर बनाने का आदेश हुआ।जब इस स्थान की खुदाई की गई तो यहां से एक विशाल स्वयंभू शिवलिंग प्राप्त हुआ।
इसी स्थान पर शिव मंदिर की स्थापना की गई और यह मंदिर भगवान बाल्हेश्वर शिव धाम के नाम से प्रसिद्ध हुआ। मंदिर की स्थापना के बाद से इसमें कई बार निर्माण होते रहे,वर्तमान मंदिर का निर्माण ऐहार गांव के पंडित रामसहाय तिवारी व उनके पुत्र भगवान प्रसाद तिवारी द्वारा1747 ई. में कराया गया । मंदिर परिसर में ही विशाल तालाब है।दूर दराज के लाखों भक्त सावन के महीने में यहां आते हैं।सोनिया गांधी और प्रियंका वाड्रा सहित कई राजनीतिक हस्तियां भी बाबा का आशीर्वाद लेने आती रहतीं हैं।
*गुम्बद पर लगा त्रिशूल बदलता रहता है अपनी दिशा*
मंदिर के संबंध में एक आश्चर्यजनक चर्चा यह भी है कि मंदिर के गुम्बद में लगा त्रिशूल अपनी दिशा बदलता रहता है।इस बात की पुष्टि करते हुए मुख्य पुजारी पंडित झिलमिल महाराज ने बताया कि इसकी चर्चा भक्तों से सुनी गई थी जिसके बाद यह सोचा गया कि कहीं त्रिशूल ढीला न हो,लेकिन जब निरीक्षण किया गया तो वह कहीं से भी ढीला नही था।बावजूद इसके त्रिशूल के दिशा बदलने के कई प्रमाण भक्तों के पास मौजूद हैं।मुख्य पुजारी इसे भगवान शिव का चमत्कार बताते हैं।आस्था,परम्परा और आश्चर्य को समेटे यह प्राचीन मंदिर वर्षो से भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। श्रावण मास में दूरदराज से लाखों भक्त यहां आकर पूजा अर्चना कर अपनी मनोकामना को पूरा करते हैं।

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