कानपुर, शहर में कोरोना भयानक रूप ले चुका है। हैलट,उर्सला समेत प्राइवेट अस्पतालों में आँक्सीजन,बेड की कमी का हवाला देकर मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है। जिम्मेदार मौन है। लोगों का सिस्टम की नाकामी के चलते विश्वास उठ गया है। मरीजों को बेहतर स्वास्थ सेवायें मुहैया कराने का दावा करने वालों पर सवालिया निशान लग गया है। दवाओं और आँक्सीजन के स्टाँक की कमी के चलते स्वास्थ सेवायें भी वेंटिलेटर पर आ गयी है। हाँस्पिटलों की चौखट से मरीज व उनके परिजन दर्द,बेबसी और आँखों में आँसू लेकर लौट रहे है। कई बार आँक्सीजन और बेड न मिलने से मरीजों ने हाँस्पिटल की चौखट पर ही दम तोड़ दिया।
चकेरी के लाल बंगला निवासी नब्बे वर्षीय बुजुर्ग केशव नारायण तिवारी को उनका नाती मोनू गंभीर हालत में परिजनों संग रविवार दोपहर हैलट इमर्जेन्सी लेकर पहुंचा। यहाँ डॉक्टर ने बुजुर्ग को भर्ती नहीं किया। परिजन सिस्टम को कोसते रहे। शुक्लागंज निवासी सुरेश चन्द्र दीक्षित को उनकी पत्नी कामिनी दोपहर यहाँ लेकर पहुंची। पत्नी ने बताया कि,उनके पति निमोनिया से ग्रसित हैं,डाँक्टर ने यहाँ भर्ती न कर कोविड हाँस्पिटल में जाने को कहा।
बिठूर के डल्लापुरवा गाँव निवासी मुरली दोपहर को अपनी 65 वर्षीय बुजुर्ग माँ कौशल्या देवी को सांस की दिक्कत होने पर जीटी रोड स्थित एक निजी हाँस्पिटल में गंभीर हालत में लेकर पहुंचा। यहाँ मौजूद डाँक्टर ने आँक्सीजन न होने का हवाला देकर भर्ती नहीं किया। माँ को गंभीर हालत में लेकर वो हैलट पहुंचा ही था कि,उसकी बुजुर्ग माँ की साँसे थम गयी।
नौबस्ता निवासी एमएस चौहान अपने पिता सीपी सिंह को गंभीर हालत में लेकर यहाँ पहुंचे। बेटे के मुताबिक, आँक्सीजन लेवल गिरने पर पिता को वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत पड़ी,डाॅक्टर से कई बार विनती की,लेकिन डाॅक्टर नहीं पसीजे।
विधनू के ग्राम कठौन्गर निवासी राजेश सिंह अपने भाइयों राजबहादुर व श्याम संग सुबह अपनी बुजुर्ग माँ कलावती को सांस की दिक्कत होने पर हैलट इमर्जेन्सी लेकर पहुंचे। बेटे राजेश के मुताबिक,यहाँ डॉक्टर ने आँक्सीजन व बेड की कमी का हवाला देकर उनकी माँ को भर्ती नहीं किया। कुछ ही देर में बुजुर्ग महिला ने हैलट की चौखट पर ही दम तोड़ दिया।
पिता की जिंदगी की डाँक्टर से भीख माँगता रहा बेटा
गोरखपुर निवासी राजेश कुमार यादव को फेफड़ों में दिक्कत होने पर बेटा विकास हैलट इमर्जेन्सी में गंभीर हालत में अपने पिता को भर्ती करने के लिए यहाँ डॉक्टर से गिड़गिड़ता रहा। बेटे के मुताबिक,उससे आँक्सीजन सिलेंडर लाने को कहा गया। रविवार सुबह चार बजे से मुरारी गैस प्लांट में लाइन में लगे रहने के बाद जब नम्बर आया तो प्लांट के कर्मचारी ने बड़ा सिलेंडर होने की बात कहकर सिलेंडर नहीं भरा,हालांकि उनकी मदद के लिए सिविल डिफेन्स के वार्डन कांति निगम भी आगे आए। बेटे के मुताबिक़,हैलट में इलाज न मिलने पर यहां ईश्वर के भरोसे छोड़कर आये पिता की हालत बिगड़ती ही जा रही है।
फतेहपुर निवासी आदित्य पांडेय अपनी माँ रीता को गंभीर हालत में लेकर दोपहर कार्डियोलाजी पहुंचे। यहाँ डाक्टर ने भर्ती नहीं किया। यशोदा नगर निवासी रितिक अपनी माँ शिवकली संग पिता रामचन्द्र को सुबह गंभीर हालत में लेकर यहाँ पहुंचा तो डाँक्टर ने आँक्सीजन व बेड न होने का हवाला देकर भर्ती नहीं किया। रोते बिलखते परिजन डॉक्टर से हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाते रहे लेकिन डाँक्टर नहीं पसीजे।
गड़रियन पुरवा निवासी राम अवतार को सांस की तकलीफ होने पर गंभीर स्थिति में बेटा अरविंद सुबह हैलट इमरजेंसी लेकर पहुंचा,लेकिन यहाँ डाक्टर ने भर्ती नहीं किया। निराश होकर उसने किसी अन्य हाँस्पिटल की ओर रूख किया।