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रोहिंग्या मुस्लिमों के मामले से बेहतर तरीके से निपटा जा सकता था: सू की

हनोई। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित म्यामां की नेता आंग सान सू की ने गुरुवार को कहा कि रोहिंग्या मुस्लिमों के मामले से उनका देश बेहतर तरीके से निपट सकता था। चरमपंथ के खिलाफ क्रूर अभियान के चलते 700,000 लोग बांग्लादेश भाग गए थे।
रोहिंग्या मुस्लिमों द्वारा सुरक्षाबलों पर अगस्त 2017 के हुए हमलों के बाद से सेना की कार्रवाई में कथित तौर पर किए गए अत्याचारों को लेकर म्यामां अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना कर रहा है।
सेना पर बड़े पैमाने पर बलात्कार, हत्याएं करने और हजारों घरों को आग के हवाले करने का आरोप है। सू की ने हनोई में विश्व आर्थिक फोरम की क्षेत्रीय बैठक में चर्चा के दौरान कहा, ‘‘मुझे लगता है कि स्थिति से बेहतर तरीके से निपटा जा सकता था।
उन्होंने अब भी म्यामां सुरक्षा बलों का बचाव करते हुए कहा कि रखाइन प्रांत में सभी समूहों की रक्षा करने की जरुरत थी। उन्होंने कहा, ‘‘हमें सभी पक्षों के साथ निष्पक्ष रहना है। कानून हर किसी पर लागू होना चाहिए। हम अपनी पसंद का नहीं चुन सकते।
उन्होंने कहा कि इलाके में बड़ी संख्या में मौजूद जातीय अल्पसंख्यकों ने स्थिति जटिल बना दी थी। अल्पसंख्यकों में कुछ के पूरी तरह विलुप्त होने का खतरा है और वे केवल मुस्लिम और रखाइन बौद्ध नहीं हैं।
सू की ने कहा कि म्यामां उन लोगों को वापस बुलाने को तैयार हैं जो भागकर गए थे लेकिन उनकी वापसी की प्रकिया जटिल है क्योंकि इसमें दो सरकारें शामिल हैं। सहायता कर्मियों का कहना है कि शरणार्थियों के लिए सुरक्षित वापसी की स्थिति अभी नहीं बनी है।

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