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इस सिंड्रोम की वजह से अपने ही भाई-बहनों से चिढऩे लगता है बच्चा

कई सालों से ये बात चली आ रही है कि पहले और सबसे छोटे बच्चे को घर में लाड-प्यार ज्यादा मिलता है। इस बीच जो दूसरे नंबर का बच्चा होता है उसे मां-बाप के साथ-साथ परिवार के अन्य सदस्यों का प्यार कम मिलता है। जरूरी नहीं है कि हर घर में सेकंड चाइल्ड के साथ ऐसा ही होता है लेकिन घर में इस तरह की स्थिति पैदा होने से बचना भी जरूरी है।
जब पहले और सबसे छोटे बच्चे को प्यार मिलता देख दूसरे नंबर के बच्चे को दुख या हताशा महसूस होने लगे तो इसे सेकंड या मिडल चाइल्ड सिंड्रोम कहते हैं।
आइए जानते हैं कि इस सिंड्रोम के लक्षण और इसमें फंसे बच्चों को बाहर निकालने के तरीकों के बारे में।
सेकंड चाइल्ड सिंड्रोम के लक्षण
इस सिंड्रोम से ग्रस्त बच्चे में कुछ इस प्रकार के संकेत या लक्षण देखने को मिल सकते हैं :
1.आत्म-सम्मान में कमी और जलन : बड़े भाई-बहन से तुलना होने पर बच्चों का आत्मविश्वास कम होने लगता है। तुलना के कारण उसमें जलन की भावना भी पैदा हो सकती है।
2.दिशाहीन : अगर पहले या सबसे छोटे बच्चे पर ही सारा ध्यान दिया जाए तो इसकी वजह से मिडल चाइल्ड का जीवन दिशाहीन बन सकता है। बच्चे को लगने लगता है कि उसके मां-बाप उसे कम प्यार करते हैं और इससे उसकी फोकस करने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है जिससे उसके सोशल स्किल पर असर पड़ता है और उसका जीवन दिशाीन बन सकता है।
3.उनसे कोई उम्मीद नहीं है :यदि बच्चे की तारीफ न की जाए या माता-पिता उसके साथ समय न बिताएं तो बच्चे को लगने लगता है कि परिवार को उससे कोई उम्मीद नहीं है। उसे दूसरों से कोई जिम्मेदारी मिलने की कोई उम्मीद नहीं रहती।
कैसे होते हैं बच्चे
यदि आपके बच्चे में नीचे बताई गई बातें दिख रही हैं तो हो सकता है कि वो सेकंड चाइल्ड सिंड्रोम से ग्रस्त हो :
1.अगर गले लगाने पर बच्चा सकारात्मक रिस्पॉन्स न दे।
2.आपका ध्यान खींचने के लिए गुस्सा करना या नखरे दिखना।
3.विशेषज्ञों का कहना है कि सेकंड चाइल्ड अपने अंदर बहुत गुस्सा और नेगेटिविटी दबाकर रखता है।
4.जब मां-बाप ही बच्चे की उपलब्धियों पर ध्यान देना बंद कर दें तो इससे बच्चा भी महत्वाकांक्षी नहीं बनता है।
5.ऐसे बच्चे अकेले रहना पसंद करने लगते हैं।
सेकंड चाइल्ड सिंड्रोम से बचने के तरीके
परिवार और दोस्तों के साथ से काफी हद तक सेकंड चाइल्ड सिंड्रोम से बचने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा निम्न उपाय अपनाएं :
1.अपने बच्चों की तुलना एक-दूसरे से न करें। बच्चों का मन बहुत नाजुक होता है इसलिए तुलना करने की बजाय उन्हें ठीक तरह से काम करना सिखाएं।
2.अपने बात को सिर्फ सुनाएं ही नहीं बल्कि उसकी बात भी सुनें। उनकी बातों को सुनकर मार्गदर्शन भी दें। परिवार में किसी भी मुद्दे पर चर्चा चल रही हो तो उसमें अपने मिडल चाइल्ड को भी शामिल करें।
3.अगर आपका बच्चा दुर्भाग्यवश सेकंड चाइल्ड सिंड्रोम का शिकार हो गया है तो उसे अपने भाई-बहनों से जलन और नफरत करने की बजाय प्यार करना सिखाएं।
4.अगर बच्चे को लगता है कि आप उससे कम प्यार करते हैं या कम समय देते हैं तो उसे समझाएं कि ऐसा क्यों है। बच्चे से बात करें और उसके मन में बसे डर को निकालने की कोशिश करें।
बच्चों की देखभाल में बहुत एहतियात बरतनी चाहिए और अगर आपका बच्चा सेकंड चाइल्ड सिंड्रोम से ग्रस्त हो चुका है तो आपकी जिम्मेदारी काफी बढ़ जाती है।

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