
राहत इंदौरी के मरने पर एक दूसरे को बधाईयाँ देने वालों को तुम्हारे प्यारे पापा के मरने पर पता चला कि किसी की मौत पर खुशी मनाना अमानवीय हरकत है..पर अब तो इधर लाखों भारतीय मर चुके हैं बेमौत..
लाकडाऊन में मरने वाले मजदूरों से लेकर एनआरसी सीएए विरोधी प्रदर्शनों में मरने वाली मुस्लिम महिलाओं तक..दिल्ली में बैठे किसानों से लेकर नोटबंदी में सपरिवार भूखे मरने वाले फिरोजाबाद के चूड़ी कारीगरों तक..और लोग आज भी मर रहे हैं आक्सीजन के लिये तरसते हुए,अपने जवान बच्चे के लिये वेंटिलेटर के लिये गिड़गिड़ाते हुए लोग और उन लोगों पर रामलला की सरकारें संपत्ति जब्त करने के लोकतांत्रिक फरमान जारी कर रही हैं..
आ गया रामराज्य..
इतनी तकलीफें हैं,इतने दर्द, इतने आँसू, इतनी चीत्कारें हैं कि गिनती नहीं है..
तुम्हें शायद पता भी नहीं होगा कि तुम्हारे प्यारे पापा के शो में एक इंसान तुम्हारे प्यारे पापा और संबित अंकल की बेहूदगी झेलते झेलते हार्ट अटैक का शिकार हो गया लेकिन तुम्हारे पापा ने कभी उस हत्या के लिये अफसोस जाहिर नहीं किया.. एक शब्द भी नहीं..
तो बेटा,कैसे बताऊँ तुम्हें कि तुम्हारे प्यारे पापा जैसे मरे हुए लोगों ने बाकायदा मरने से पहले हमारी बचीखुची इंसानियत भी छीन ली है और इतनी नफरत की फसलें बो दी हैं इन्होंने दुनिया छोड़ने से पहले अपने जीवन में कि उन्हें काटने में तुम्हारे जैसे मासूम बच्चों की आनेवाली कई नस्लें गुजर जायेंगी..
हिटलर की लड़की को अपनी पूरी जिंदगी जर्मनी से बाहर छिपकर गुजारनी पड़ी थी..वो बता नहीं सकती थी किसी को कि उसका बाप समाज में नफरतों की जानलेवा खेती करनेवाला दरिंदा था..
ऊपरवाला ऐसा बाप किसी को न दे जो जीतेजी इंसानियत के नाम पर काला धब्बा बन जाये और जिसके मरने पर तमाम खून के आँसू बहाते लोग ऊपरवाले के इंसाफ पर यकीन जताने लगें..
वैसे पापा सबके प्यारे होते हैं, तुम्हारे पापा भी प्यारे ही थे..तुम्हारी जिंदगी में उनकी जगह कोई नहीं ले सकता.. ईश्वर तुम्हारी रक्षा करे और तुम्हारे प्यारे पापा की आत्मा को शांति प्रदान करे..
लगेगी आग तो आओगे ज़द में तुम भी,
इस गली में केवल हमारा मकान थोड़े ही है..