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गाजियाबाद,लखनऊ और नोएडा के बाद अब इन तीन शहरों में दौड़ेगी मेट्रो

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज कहा कि उनकी सरकार राज्य के अन्य शहरों को भी मेट्रो रेल सुविधा से जोड़ने की कोशिश कर रही है और उसने कानपुर, आगरा और मेरठ में मेट्रो रेल के संचालन के लिये विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) केन्द्र सरकार के पास भेज दी है. सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने कहा कि लखनऊ, गाजियाबाद और नोएडा में सफलतापूर्वक मेट्रो का संचालन किया जा रहा है. वहीं लखनऊ मेट्रो दिवस कार्यक्रम पर लखनऊ मेट्रो मोबाइल ऐप का अनावरण किया गया. मुख्यमंत्री ने लखनऊ मेट्रो का व्यावसायिक संचालन शुरू होने की पहली वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि ‘हमने केन्द्र सरकार के पास कानपुर, आगरा और मेरठ में मेट्रो रेल परियोजना की डीपीआर बनाकर भेजी हैं. हम सबको मेट्रो सुविधा को अनेक नगरों तक पहुंचाने के लिये केन्द्र का सकारात्मक सहयोग और मार्गदर्शन मिल रहा है. आज हमारे तीन शहर लखनऊ, गाजियाबाद और नोएडा मेट्रो के साथ जुड़़ चुके हैं.’
उन्होंने कहा कि आने वाले समय में हमारा प्रयास अन्य शहरों को मेट्रो से जोड़ने का है क्योंकि यह आज की आवश्यकता बन चुकी है. लोगों के लिये मेट्रो ना सिर्फ बेहतर परिवहन की सुविधा है, बल्कि स्टेटस सिम्बल भी बन चुकी है कि हमारा शहर मेट्रो सिटी है. स्वाभाविक रूप से मेट्रो की उपलब्धि को अपने साथ जोड़ना, उसकी व्यवस्था को इसी उत्कृष्टता के साथ आगे बढ़ाना आप सबका दायित्व बनता है.उन्होंने लखनऊ मेट्रो का जिक्र करते हुए कहा कि हम लोग यह मानते थे कि जब यहां मेट्रो शुरू होगी, तो कहीं ऐसा ना हो कि यह घाटे का सौदा साबित हो, लेकिन मुझे बताया गया है कि लखनऊ मेट्रो की परिचालन लागत उसकी आमदनी के साथ जुड़ती दिख रही है, उससे बाहर नहीं बल्कि नियंत्रण में है. जब लखनऊ मेट्रो अपने पूरे क्षेत्र में चलेगी तो मुझे लगता है कि ना केवल लखनऊ बल्कि यहां आने वाले सभी लोगों को इसका लाभ मिलेगा.’ उन्होंने कहा विगत एक वर्ष के दौरान 33 लाख यात्री लखनऊ मेट्रो के साथ जुड़े हैं. मेट्रो ने राजधानी की सड़कों पर चलने वाले औसतन 10 हजार यात्रियों को अपनी ओर खींचा है. इससे सड़कों पर दबाव कम हुआ है और नागरिकों को काफी राहत मिली है. योगी ने कहा कि लोग सरकार द्वारा लागू किये गये तंत्र का अनुसरण करते हैं. अगर लोग लखनऊ मेट्रो प्रशासन का पहले ही दिन से अनुसरण नहीं करते तो लखनऊ मेट्रो भी कोई सामान्य रेलवे स्टेशन बन गया होता. रेलवे की एक सामान्य बोगी बनकर रह गयी होती और एक साल का कार्यकाल आपके लिये चुनौतीपूर्ण हो गया होता.

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