उत्तर प्रदेश

कलीम सिद्दीकी को विदेशों से होती थी भारी फंडिंग, बहरीन से खाते में आये थे डेढ़ करोड़ रुपये

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Kaleem Siddiqui Conversion Case: एंटी टेररिस्ट स्क्वायड (UP ATS) ने धर्मांतरण के सिंडिकेट (Syndicate of Conversion) की एक और महत्वपूर्ण कड़ी मौलाना कलीम सिद्दीकी (Kaleem Siddiqui) को गिरफ्तार कर सिंडिकेट के खाड़ी देशों से संपर्कों का सनसनीखेज खुलासा किया है. मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) के फुलत निवासी मौलाना कलीम सिद्दीकी विदेशों से हवाला के जरिए रुपया मंगाता था. जामिया इमाम वालीउल्लाह नाम से उसका एक ट्रस्ट भी है. एटीएस को मौलाना के ट्रस्ट के बैंक खाते में बहरीन से धर्मांतरण के लिए डेढ़ करोड़ रुपए एकमुश्त भेजने के पुख्ता साक्ष्य मिले हैं. यह भी पता चला है कि, दावाह (धर्मांतरण के आमंत्रण) के लिए मौलाना कलीम खुद ही साहित्य लिखता था. उसका लिखा साहित्य किताबों के रूप में और ऑनलाइन उपलब्ध है.

विदेशों से हो रही थी भारी फंडिंग

एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि, मौलाना कलीम सिद्दीकी को एटीएस की टीम ने मंगलवार रात मेरठ से गिरफ्तार किया. वह ज्यादातर दिल्ली में रहकर धर्मांतरण का सिंडिकेट चला रहा था. देशभर में कई मदरसों, सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं की आड़ में वह धर्मांतरण का काम कर रहा था और इसके लिए विदेशों से भारी मात्रा में फंडिंग की जा रही थी. उन्होंने बताया कि, एटीएस के पास इस बात के पुख्ता साक्ष्य हैं कि मौलाना कलीम के सिंडिकेट से देश के कई नामी लोग और संस्थाएं जुड़ी हुई हैं. एडीजी ने बताया कि, मौलाना कलीम सिद्दीकी शरीयत के अनुसार व्यवस्था लागू करने के लिए जनसंख्या अनुपात बदलने के उद्देश्य से वृहद स्तर पर धर्मांतरण करा रहा था. वह गैर मुस्लिमों को गुमराह कर, उन्हें डरा-धमकाकर या लालच देकर धर्म परिवर्तन कराता और फिर उन्हें दावाह के काम के लिए तैयार करता था. उसका ट्रस्ट जामिया इमाम वलीउल्लाह सामाजिक सौहार्द के कार्यक्रमों की आड़ में धर्मांतरण का काम कर रहा था. 

मदरसों को करता था फंडिंग

यह भी जानकारी में आया है कि, मौलाना कलीम सिद्दीकी अपना ट्रस्ट संचालित करने के साथ ही देशभर के तमाम मदरसों को फंडिंग भी करता है. इसके लिए मौलाना कलीम को विदेशों खासकर खाड़ी देशों से हवाला या अन्य अवैध माध्यमों से रकम भेजी जाती है. मौलाना कलीम जिन मदरसों को फंडिंग करता था, उनकी आड़ में पैगाम ए इंसानियत के संदेश देने के बहाने लोगों को जन्नत और जहन्नुम जैसी बातों का लालच व भय दिखाकर इस्लाम स्वीकारने के लिए प्रेरित करता था. बाद में इन्ही लोगों को प्रशिक्षित कर अन्य लोगों को धर्मांतरण के काम पर लगाता था.

एटीएस के आईजी जीके गोस्वामी ने बताया कि, मौलाना कलीम के यूट्यूब पर कई वीडियो और साहित्य उपलब्ध हैं जिनमें वह लाखों लोगों के धर्मांतरण की बात कुबूल कर रहा है. मौलाना कलीम का नेटवर्क खंगालने के लिए यूपी एटीएस की छह टीमें काम कर रही हैं. एटीएस ने उससे पूछताछ के लिए पुलिस कस्टडी रिमांड की अर्जी भी दी है.

उमर गौतम के गैंग से मिलकर चला रहा था धर्मांतरण का रैकेट

मौलाना कलीम सिद्दीकी बीते दिनों एटीएस के हत्थे चढ़े मुफ्ती काजी उमर गौतम के गैंग से मिलकर देशभर में धर्मांतरण का रैकेट चला रहा था. एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि, जिन संगठनों ने उमर गौतम से जुड़ी संस्था अल हसन एजुकेशनल एंड वेलफेयर फाउंडेशन को फंडिंग की थी, उन्होंने ही मौलाना कलीम सिद्दीकी के ट्रस्ट जामिया इमाम वलीउल्लाह को भी अवैध रूप से पैसा भेजा था. मौलाना के ट्रस्ट के खातों में अब तक करीब 3 करोड रुपए की फंडिंग के साक्ष्य मिले हैं. उमर गौतम के पास से धर्मान्तरित व्यक्तियों के जो दस्तावेज मिले हैं, उनका संबंध कलीम सिद्दीकी से भी पाया गया है.

पीएमटी एंट्रेंस पास करके एमबीबीएस करने के बजाए नदवा में ले लिया था दाखिला

मौलाना कलीम ने पीएमटी प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद भी एमबीबीएस की पढ़ाई नहीं की. वह इस्लामी साहित्यकारों से प्रभावित था और इस्लाम के लिए कुछ अलग करना चाहता था. उसकी प्राथमिक शिक्षा मुजफ्फरनगर के फुलत स्थित एक मदरसे में हुई. इसके बाद खतौली में पिकेट इंटर कॉलेज से विज्ञान वर्ग से 12वीं पास की. मेरठ कॉलेज से मौलाना कलीम ने बीएससी किया और पीएमटी प्रवेश परीक्षा भी उत्तीर्ण की. हालांकि, पीएमटी पास करके एमबीबीएस करने के बजाए मौलाना कलीम ने लखनऊ की प्रसिद्ध इस्लामी शिक्षण संस्था दारुल उलूम नदवातुल उलमा में दाखिला ले लिया.

फॉरेन करंसी एक्ट के तहत भी होगी कार्रवाई

एडीजी कानून व्यवस्था ने बताया कि, मौलाना के ट्रस्ट के खातों में बहरीन से कुल 3 करोड रुपए की फंडिंग के साक्ष्य मिले हैं. जिस खाते में पैसा आया है, वह विदेशी मुद्रा अधिनियम के तहत लेन-देन के लिए अप्रूव्ड नहीं हैं. उन्होंने बताया कि मौलाना कलीम के खिलाफ दर्ज केस में विदेशी मुद्रा के उल्लंघन का मामला भी शामिल किया जाएगा.

उमर गौतम की संस्थाओं को भी ब्रिटेन से हुई थी 57 करोड़ की फंडिंग

एडीजी प्रशांत कुमार ने बताया कि, एटीएस ने 20 जून को धर्मांतरण का गिरोह चला रहे दिल्ली जामिया नगर निवासी मुफ्ती काजी उमर गौतम और उसके साथियों को गिरफ्तार किया था. उमर गौतम भी इस्लामिक दावाह सेंटर नाम से संस्था चलाता था और दिव्यांग किशोरों को बहला-फुसलाकर धर्मांतरण कराता था. छानबीन में सामने आया कि उमर गौतम और उसके सहयोगियों को ब्रिटेन की संस्था अल फला ट्रस्ट से करीब 57 करोड़ रुपये की फंडिंग की गई थी.

कनाडा, ब्रिटेन, सेंट्रल एशिया, इजिप्ट के बाद अब आया बहरीन कनेक्शन

धर्मांतरण के रैकेट की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ती जा रही है, उसके तार विश्व के कई देशों से जुड़ते जा रहे हैं. एटीएस ने जब उमर गौतम के साथ गुजरात के सलाहुद्दीन जैनुद्दीन शेख, महाराष्ट्र के नागपुर निवासी रामेश्वर कावड़े उर्फ आदम उर्फ एडम और भुप्रिय बंदो उर्फ अर्सलान मुस्तफा तथा झारखंड के कौशल आलम को गिरफ्तार किया था, तब पूछताछ में कनाडा के बिलाल फिलिप का नाम सामने आया था. बिलाल फिलिप दोहा में इस्लामिक यूनिवर्सिटी का संचालन करता था और उमर गौतम अपनी संस्था इस्लामिक दावाह सेंटर के जरिए उसकी यूनिवर्सिटी की ऑनलाइन परीक्षाएं आयोजित कराता था. आरोपियों से पूछताछ के बाद एटीएस ने कई और लोगों को गिरफ्तार किया जिनके सेंट्रल एशिया के विभिन्न देशों और इजिप्ट से संबंध पाए गए थे. ब्रिटेन की संस्था से उमर गौतम और उसके सहयोगियों की संस्थाओं को फंडिंग की जाती थी. अब मौलाना कलीम सिद्दीकी की गिरफ्तारी के बाद धर्मांतरण में बहरीन का कनेक्शन भी सामने आया है. हालांकि, अभी तक एटीएस ने धर्मांतरण के मामले में किसी विदेशी नागरिक को आरोपी नहीं बनाया है. एडीजी कानून व्यवस्था का कहना है कि अभी विवेचना की जा रही है. अगर कोई विदेशी नागरिक संलिप्त पाया जाता है तो उसका नाम भी जांच में शामिल किया जाएगा.

https://www.youtube.com/watch?v=1HBPEizgQgs

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