लखनऊ, उत्कर्ष संगोष्ठी के तेरहवें चरण में तमाम कर्मचारी संगठनों और राजनीतिक दलों के अलावा जनसेवी संगठनों के पदाधिकारी खुलकर बोले।
अंतर्राष्ट्रीय कोरोनाकाल की भयावहता के बीच भारत की ग्रामीण स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवाओं की वर्तमान स्थितियों की पड़ताल पर आधारित इस संगोष्ठी में विशेषज्ञ वक्ता के रूप में आल इंडिया कम्यूनिटी हेल्थवर्कर एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव मनोज कुमार ने कोरोना नियंत्रण कार्य में जनस्वास्थ्य रक्षकों की तत्काल नियुक्ति की आवश्यकता दर्शायी ।
उ.प्र.विद्युत जूनियर इंजीनियर संघ के नेता जयप्रकाश ने बताया कि ग्रामीण चिकित्सा की सफलता का सीधा नियमित संबंध विद्युत आपूर्ति से है लेकिन जनकल्याण की बातें करने वाली सरकारों को निजीकरण के अलावा कुछ सूझ नहीं रहा है।
स्टेट बैंक अधिकारियों के नेता पवन कुमार ने अंतर्राष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस पर इस संगोष्ठी के आयोजन को सुखद संयोग बताया और स्वास्थ्य, शिक्षा, चिकित्सा जैसे सार्वजनिक हितों की योजनाओं की लगातार अनदेखी किये जाने पर चिंता व्यक्त की।
किसान नेता मोहम्मद ओसामा ने बताया कि जमीनी स्तर पर सभी योजनाओं को इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत है।कांग्रेस विधि प्रकोष्ठ के महासचिव जावेद अहमद एडवोकेट ने उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में चिकित्सा सुविधाओं के जनस्वास्थ्य रक्षकों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया और सारी शिक्षा और चिकित्सा सुविधाओं में माफियाओं की घुसपैठ को राष्ट्रीय समस्या बताया।भारत जनगौरव पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष इंद्रेश शुक्ला ने चिकित्सा क्षेत्र में हुई प्रगति को स्वीकार करते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में पैरामेडिकल स्टाफ की कमी बतायी और ग्रामीण क्षेत्रों में जीवनरक्षक दवाओं की उपलब्धता के लिये राष्ट्रीय नीति बनाये जाने की आवश्यकता दर्शायी।
ममता चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक ट्रस्टी डा. राजेश शुक्ला ने अंतर्राष्ट्रीय अर्थचक्र परिवर्तन के दौर में भारत जैसी विचार प्रक्रिया को महत्वपूर्ण बताया।
संगोष्ठी संचालक विमल प्रकाश के अनुसार आगामी संगोष्ठी 25 अक्टूबर को सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण विषय पर आधारित होगी।इस मौके पर संगोष्ठी प्रभारी अनिल कुमार तिवारी,संगोष्ठी संयोजक ज़ाहिद अली,संगोष्ठी प्रबंधक राजेश गौतम
शाहिद रिज़वी एवं अन्य मौजूद रहे।