अंतरराष्ट्रीय

इजराइल में महज खमीरी रोटी के चलते अल्पमत में आई नफ्ताली बेनेट सरकार

इजराइल में नफ्ताली बेनेट सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं. इजराइल में सत्तारूढ़ गठबंधन की सचेतक के धार्मिक आधार पर बुधवार को इस्तीफा दिए जाने के कारण प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट (Naftali Bennett) की सरकार 120 सदस्यीय सदन में अल्पमत में आ गई है. ऐसे में बेनेट के कार्यभार संभालने के एक साल के भीतर देश में चुनाव की संभावना बढ़ गई है. प्रधानमंत्री बेनेट की यामिना पार्टी की इडित सिलमैन (Idit Silman) ने खानपान के नियमों को लेकर विवाद के बाद ‘‘यहूदी मूल्यों’’ के सवाल पर इस्तीफा देने की घोषणा की. सिलमैन ने प्रधानमंत्री को लिखे एक पत्र में कहा कि वो अब ऐसे गठबंधन में सेवा नहीं कर सकती जो हम सभी के लिए प्रिय मूल्यों के प्रतिकूल है.

खमीरी रोटी के चलते अल्पमत में आई नफ्ताली बेनेट सरकार

इडित सिलमैन ने प्रधानमंत्री से भी दक्षिणपंथी दलों से हाथ मिलाने का आग्रह किया. गठबंधन के पास 120 सदस्यीय संसद ‘नेसेट’ में केवल 60 सदस्य हैं. गठबंधन से सदस्य के इस्तीफे के बावजूद बेनेट की सरकार सत्ता में बनी रहेगी लेकिन उसे प्रमुख मुद्दों पर कानून बनाने में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. सिलमैन ने सरकारी अस्पतालों में लोगों को खमीरी रोटी और अन्य खाद्य पदार्थ लाए जाने की अनुमति का विरोध किया है. धार्मिक परंपरा के अनुसार ये खाद्य उत्पाद प्रतिबंधित हैं. कुछ धर्मनिष्ठ यहूदी लोगों के लिए अस्पताल में ऐसे खाद्य पदार्थों की मौजूदगी धार्मिक परंपरा के हिसाब से ठीक नहीं है. सिलमैन की इस मुद्दे पर स्वास्थ्य मंत्री नितजान होरोवित्ज के साथ सार्वजनिक बहस हो गई थी. 

गठबंधन की सचेतक के इस्तीफे से बढ़ी सरकार की मुश्किलें

होरोवित्ज ने यहूदियों के एक प्रमुख त्योहार के दौरान अस्पतालों में ऐसे उत्पादों की अनुमति दे दी थी. मिस्र में दासता से इजराइल के लोगों की आजादी के मौके पर त्यौहार मनाया जाता है. कुछ धर्मनिष्ठ यहूदियों के लिए अस्पताल में ऐसे खाद्य पदार्थों की उपस्थिति यहूदी परंपरा के अनुकूल नहीं है. हालांकि देश के सर्वोच्च न्यायालय ने 2021 में फैसला सुनाया था कि अस्पताल लोगों को ऐसा करने से नहीं रोक सकते. सत्तारूढ़ गठबंधन में आठ राजनीतिक दल हैं. जिसमें इस्लामवादी से लेकर रूढिवादी राष्ट्रवादी और उदारवादी भी हैं. पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का विरोध करने के लिए ये सभी दल साथ आए थे. संसद का अभी सत्र नहीं हो रहा और यह स्पष्ट नहीं है कि क्या विपक्ष के पास अविश्वास प्रस्ताव रखने के लिए पर्याप्त समर्थन होगा. हालांकि, सरकार के पास बहुमत नहीं रहने की स्थिति में इजराइल में तीन वर्षों में पांचवीं बार चुनाव होगा.

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