अंतरराष्ट्रीय

अमेरिका के एक स्कूल में हुई फायरिंग में 3 छात्र समेत एक टीचर घायल

Timberview High School of Texas: अमेरिका के टेक्सस में एक स्कूल में हुई फायरिंग में 3 छात्र और एक अध्यापक घायल हो गए हैं. दरअसल, बीते दिन टेक्सस के टिम्बरव्यू हाई स्कूल में उस वक्त खौफ का माहौल बन गया जब अचानक से क्लासरूम में अंधाधुंध फायरिंग शुरू हो गई. जानकारी के मुताबिक दो छात्रों के बीच झगड़े के बाद एक छात्र ने फायरिंग करना शुरू कर दिया.

बताया जा रहा है कि, जैसे-जैसे फायरिंग बढ़ती गई दहशतगर्दों के डर से छात्रों ने खुद को क्लासरूम में बंद कर दिया. वहीं, स्कूल में फायरिंग की खबर मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने स्कूल को चारो ओर से घेरते हुए छात्रों को सुरक्षित निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया और सभी को वक्त के साथ निकाल लिया गया. साथ ही घायल छात्रों और टीचर को इलाज के लिए अस्पताल भर्ती कराया गया. वहीं, मिली जानकारी के मुताबिक, आरोपी छात्र सुरक्षाबलों को चकमा देकर मौके से फरार हो गया.

आरोपी छात्र 18 साल का

पुलिस के मुताबिक, क्लासरूम में फायरिंग करने वाले हमलावर छात्र टिमोथी जॉर्ज सिंपकिंस की उम्र महज 18 साल है. आरोपी छात्र के पास 2018 से ही बंदूक का लाइसेंस था जिसे वो स्कूल में लेकर आया था. पुलिस ने बताया कि, गोलबारी तब शुरू हुई जब आरोपी छात्र का साथी छात्र से झगड़ा हो गया और गुस्से में उसने क्लासरूम में फायरिंग शुरू कर दी.

आपको बता दें, ये पहली बार नहीं है जब टेक्सस के किसी स्कूल में इस तरह की फायरिंग हुई है. इससे पहले भी 2018 में एक 17 साल के छात्र ने स्कूल में फायरिंग कर दी थी जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई थी. सिर्फ टेक्सस ही नहीं अमेरिका के स्कूल में फायरिंग की ऐसी घटना पहले भी हो चुकी है.

टेक्सस में पहले भी कई बार हो चुकी है फायरिंग

2005 में रेड लेक सीनियर हाई स्कूल में फायरिंग में 7 लोगों की मौत हुई थी.

2006 में वेस्ट निकेल माइन्स स्कूल फायरिंग में 5 लोगों की मौत हुई थी.

2007 में वर्जीनिया टेक स्कूल में फायरिंग में 32 लोगों की मौत हो गई थी.

2012 में सैंडी हुक स्कूल फायरिंग में 26 लोगों की मौत हुई थी.

2014 – मैरीसविले पिलचुक हाई स्कूल में 4 लोगों की मौत हुई थी.

फरवरी 2018 में मार्जोरी स्टोनमैन डगलस हाई स्कूल फायरिंग में 17 लोगों की मौत हुई थी.

2018 के ही मई महीने में सांता फ़े हाई स्कूल में फायरिंग में 10 लोगों ने अपनी जान गवां दी थी.

पिछले कुछ सालों में अमेरिका में लगातार फायरिंग की घटनाओं ने सुरक्षा इंतजाम पर सवाल उठा दिया है और इनमें से ज्यादातर फायरिंग की घटनाएं स्कूल और यूनिवर्सिटी में हुई हैं जिनमें कम उम्र के छात्र आरोपी हैं. कम उम्र के युवाओं का इस तरह दहशतगर्दी की ओर बढ़ने से अमेरिका के भविष्य पर आतंक का साया मंडरा सकता है.

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