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नई दिल्ली। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि साफ सुथरी या स्वच्छ बैंकिंग अभियान के अच्छे नतीजे अब दिखाने लगे हैं तथा बैंकिंग क्षेत्र की स्थिति सुधर रही है। केंद्रीय वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने कहा कि इसके चलते अब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऋण कारोबार बढ़ाने की आक्रामक नीति की तुलना में अच्छी तरह देख परख कर कारोबार करने का रवैया अपना रहे हैं।
कुमार ने कहा, ‘‘गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) संकट की वजह से एक जिम्मेदार और जवाबदेह बैंकिंग व्यवस्था की ओर बढ़ने के अवसर पैदा हुए हैं। सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने पिछले साल एज (विस्तारित पहुंच एवं सेवा विशिष्टता) को अपनाने का फैसला किया था, जो उनके रुख में बड़े बदलाव को दर्शाता है।’’ उन्होंने कहा कि अब भारतीय बैंकिंग प्रणाली एक नए सामान्य व्यवहार की ओर बढ़ रही है जो स्वच्छ बैंकिंग का व्यवहार है।
जुड़वा बैंलेसशीट की समस्या (कंपनी और बैंक दोनों की बैलेंसशीट की समस्या) से निपटने के लिए समस्या की पहचान पहचान, बैंकों के पुन: पूंजीकरण, रिणों के समाधान और सुधार की योजना लागू की गयी है। उन्होंने कहा कि संपत्ति गुणवत्ता समीक्षा और दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता के क्रियान्यन से शानदार नतीजे मिले हैं।
उन्होंने कहा कि निपटान प्रक्रिया से पिछले एक साल में एनपीए एक लाख करोड़ रुपये कम हुआ है। उन्होंने कहा कि बैंकों ने 2018-19 की पहली तिमाही में 36,551 करोड़ रुपये की वसूली की है जो एक साल पहले की तुलना में 49 प्रतिशत अधिक है। सरकार द्वारा किए गए अन्य उपायों का उल्लेख करते हुए कुमार ने कहा कि करीब 2.29 लाख मुखौटा कंपनियों के खाते फ्रीज किए गए हैं।