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डाकघर की इस स्कीम में मैच्योरिटी से पहले पैसा निकालने पर 48% ब्याज का नुकसान संभव, जानें

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सरकार, बैंकों, डाकघर की तरफ से कई डिपॉजिट स्कीम चलाई जा रही हैं. लोग डिपॉजिट स्कीम बचत के लिए लेते हैं और इसके मैच्योर होने का इंतजार करते हैं ताकि ज्यादा पैसा मिल सके लेकिन कई बार इमरजेंसी में पहले पैसा निकालना पड़ जाता है. डिपॉजिट स्कीम से समय से पहले पैसा निकालने पर काफी नुकसान होता है. ब्याज में कमी आती है और जुर्माना भी लगता है. पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट (POTD) स्कीम के लिए भी ऐसा ही नियम है.

पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट स्कीम में पहले पैसा निकालने से होने वाले नुकसान को एक उदाहरण से समझा जा सकता है. मान लीजिए कि किसी व्यक्ति ने इसमें 5 साल के लिए 5 लाख रुपये का निवेश किया.  निवेश के समय जमा राशि पर 6.7 फीसदी इंटरेस्ट रेट तय थी. इस हिसाब से हर साल 34,351 रुपये ब्याज मिलेंगे और यह ब्याज 5 साल तक मिलता रहेगा. 

बीच में पैसा निकालने पर FD से ज्यादा नुकसान
इस स्कीम में निवेश करने वाले व्यक्ति को 3 साल बाद इमरजेंसी में पैसे की जरूरत होने से पोस्ट ऑफिस डिपॉजिट स्कीम को तोड़ना पड़ा. ऐसी स्थिति में उसे पोस्ट ऑफिस से एकमुश्त 4,50,140 रुपये ही मिलेंगे. इस हिसाब से इस जमाकर्ता को ब्याज पर 48 फीसदी का नुकसान उठाना पड़ा. यह स्कीम इससे पहले बंद होती है तो ब्याज का घाटा और ज्यादा होगा. इस स्कीम की फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) से तुलना की जाए तो ग्राहक को ज्यादा नुकसान होता है.

स्कीम के मैच्योर होने पर ज्यादा फायदा
वहीं, मैच्योरिटी पर इस स्कीम में एफडी से ज्यादा रिटर्न मिलता है. इस स्कीम में बैंक एफडी से ज्यादा ब्याज मिलता है. लेकिन समय पहले पैसे निकालने पर जहां एफडी में 0.5-1.0 फीसदी तक जुर्माना लगता है वहीं, पीओटीडी में जुर्माने की दर ज्यादा होती है.

एक बार जमा कराने पर 6 महीने तक नहीं निकलेंगे पैसे   
पीओटीडी स्कीम 1 से 5 साल के चार अलग-अलग पीरियड में मिलती है. इसमें समय से पहले निकासी की अनुमति नहीं होती है और यदि पैसे निकालते हैं तो भारी जुर्माना लगता है. इसमें राशि जमा होने के 6 महीने तक तो पैसा बल्कुल ही नहीं निकाल सकते. जबकि एफडी में पैसे जमा कराने के अगले दिन भी उसे तोड़ा जा सकता है.

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