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ग्लोबल टी मार्केट में भारत को कड़ी टक्कर दे रहा केन्या

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कोलकाता ,  केन्या में चाय की रेकॉर्ड फसल होने के कारण वैश्विक बाजार में भारत की चाय को कड़ा मुकाबला मिल रहा है। केन्या के अपना उत्पादन चाय की अधिक खपत करने वाले यूरोप, पाकिस्तान और मिस्र में भेजने के कारण भारत की चाय को अधिक कीमतें नहीं मिल रही। 2018 की पहली छमाही में भारतीय चाय की कीमतें पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 10 पर्सेंट अधिक थी, लेकिन दूसरी छमाही में इनमें काफी कमी आई है। इंडस्ट्री के एग्जिक्यूटिव्स का मानना है कि इस वर्ष पिछले वर्ष के 24.06 करोड़ किलोग्राम के एक्सपोर्ट को पार करना मुश्किल होगा क्योंकि ग्लोबल मार्केट में केन्या की पकड़ मजबूत है।
मैकलॉयड रसेल इंडिया के डायरेक्टर अजम मोनेम ने बताया, इस वर्ष केन्या की फसल लगभग 49 करोड़ किलोग्राम होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष 43 करोड़ किलोग्राम थी। केन्या में अच्छी बारिश होने के कारण जुलाई से उत्पादन में वृद्धि हुई है। इससे उसे अधिक एक्सपोर्ट करने में मदद मिल रही है।
2018 के पहले नौ महीनों में भारतीय चाय का उत्पादन 94.18 करोड़ किलोग्राम रहा, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के लगभग समान है।
मोनेम ने कहा कि इस वर्ष एक्सपोर्ट में कमी आ सकती है। इसके पीछे केन्या में उत्पादन बढऩा और चाय के एक बड़े मार्केट ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण मार्केट में अनिश्चितता प्रमुख कारण हैं।
टी बोर्ड ऑफ इंडिया की ओर से सितंबर तक के लिए जारी आंकड़ों से पता चलता है कि देश ने 17.38 करोड़ किलोग्राम चाय का एक्सपोर्ट किया है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के बराबर है।
ईरान को लेकर अनिश्चितता के कारण ऑर्थोडॉक्स टी का उत्पादन करने वाले सीटीसी टी की ओर शिफ्ट हुए हैं। मोनेम ने बताया, ईरान पर प्रतिबंधों को लेकर भारत को अमेरिका से कुछ छूट मिलने से रुपये-रियाल में व्यापार जारी है। हालांकि, टी प्रोड्यूसर्स के सीटीसी की ओर शिफ्ट होने से वे मौजूदा स्थिति का फायदा नहीं उठा पा रहे। इससे ग्लोबल मार्केट में सीटीसी टी की सप्लाई बढ़ी है और प्राइसेज कम हुए हैं।

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