व्यापार

हेल्थ इंश्योरेंस लेते वक्त इन 4 बातों का रखें ध्यान, नहीं तो जरूरत के समय देना पड़ सकता है पैसा

[responsivevoice_button voice="Hindi Female"]

Health Insurance Tips: कोरोना संकट के बाद से लोगों में हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) को लेकर जागरुकता बढ़ी है. लोग अब ज्यादा से ज्यादा हेल्थ इंश्योरेंस करा रहे हैं. हालांकि अगर आप सोचते हैं कि हेल्थ इंश्योरेंस कराने के बाद आपको इलाज का खर्च नहीं उठाना पड़ेगा तो यह सही नहीं है. हर परिस्थिति में बीमा कंपनी आपके इलाज का खर्च उठाए ऐसा जरुरी नहीं है.

कुछ ऐसे प्वाइंट्स भी हैं जहां पर बीमा कंपनियां इलाज का खर्च उठाने के लिए बाध्य नहीं होती हैं. और किसी भी हेल्थ इंश्योरेंस या पॉलिसी को लेने से पहले उन बातों की जानकारी होना बहुत ही जरुरी है. अगर आपने हाल ही में कोई हेल्थ पॉलिसी ली है या फिर कोई बीमा पॉलिसी लेने के बारे में विचार कर रहे हैं तो इन खास बातों का पहले जान लें.

वेटिंग पीरियड में नहीं कर सकते क्लेम
पॉलिसी लेने पर शुरुआती कुछ समय तक के लिए बीमा कंपनियों द्वारा एक निश्चित अवधि निर्धारित की जाती है. जिसमें कोई भी पॉलिसी धारक किसी भी परिस्थिति में खर्च के लिए क्लेम नहीं कर सकता. इस अवधि को वेटिंग पीरियड के नाम से जाना जाता है. ये अवधि 1 महीने या 3 महीने तक की हो सकती है. इसका सीधा सा अर्थ ये है कि अगर आपने कोई पॉलिसी आज खरीदी है तो वेटिंग पीरियड तक आप उस पॉलिसी के तहत क्लेम नहीं कर सकते हैं.

24 घंटे एडमिट रहने का नियम है जरुरी
अगर आप हेल्थ इंश्योरेंस के तहत क्लेम करना चाहते हैं तो इसके लिए जरुरी है कि आप अस्पताल में कम से कम 24 घंटे एडमिट रहे हो. यानि तबीयत खराब होने पर अस्पताल में 1 दिन तो जरुर एडमिट रहना होगा. इसके दस्तावेज़ सब्मिट करने के बाद ही आप बीमा कंपनी से राशि क्लेम कर सकते हैं.

बीमारियों के पहले से होने पर ये हैं नियम
अगर आपका शरीर पहले से ही कई बीमारियों का घर है और आपने हाल ही में हेल्थ इंश्योरेंस लिया है या लेने जा रहे हैं तो घबराने की जरुरत नहीं हैं क्योंकि बीमा कंपनियां पहले से बीमारी होने पर भी उन्हें कवर करती हैं लेकिन पेंच ये है कि इसके लिए आप 36 से 48 महीनों के बाद ही कवर कर सकते हैं. यानि कुछ कंपनिया इसके लिए 36 महीनों का वेटिंग पीरियड रखती हैं तो कुछ 48 महीनों का. इसका मतलब ये है कि आपको इस सुविधा के लिए एक लंबा इंतज़ार करना पड़ता है. ऐसे में अगर बीच में आपके स्वास्थ्य में गिरावट आती है तो अस्पताल का खर्चा आपको खुद ही उठाना पड़ेगा.

महंगा पड़ सकता है कोपे का विकल्प
को पे(Co Pay) नाम से इसका मतलब स्पष्ट है. जिसका अर्थ है खर्च में हिस्सेदारी. हेल्थ इंश्योरेंस लेते वक्त यह विकल्प भी मिलता है. इसका अर्थ है कि अगर किसी की तबीयत खराब होती है तो अस्पताल का खर्च बीमा कंपनियों के साथ साथ बीमा धारक व्यक्ति भी उठाता है. मान लीजिए अस्पताल में कुल खर्च का 90 फीसदी हिस्सा बीमा कंपनी देगी तो वहीं 10 फीसदी हिस्सा पॉलिसी खरीदने वाले को देना होता है. लेकिन चूंकि इसमें आपको ज्यादा डिस्काउंट नहीं मिलता इसीलिए ये विकल्प आपको महंगा पड़ सकता है.

यह भी पढ़ें: 

Multibagger Stock Tips: ‘बिग बुल’ राकेश झुनझुनवाला ने इस स्टॉक में बढ़ाई अपनी हिस्सेदारी, क्या आपके पास है?

Multibagger Stock Tips: एक साल में 1 लाख रुपये बन गए 42 लाख रुपये, इस स्टॉक ने किया ये कमाल

 

Source link

Aamawaaz

Aam Awaaz News Media Group has been known for its unbiased, fearless and responsible Hindi journalism since 2018. The proud journey since 3 years has been full of challenges, success, milestones, and love of readers. Above all, we are honored to be the voice of society from several years. Because of our firm belief in integrity and honesty, along with people oriented journalism, it has been possible to serve news & views almost every day since 2018.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button