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आम जनता को राहत! दिवाली से पहले इतना सस्ता होगा खाने का तेल, चेक करें सरसों के तेल का रेट्स

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Edible Oil Price Down: दिवाली (Diwali 2021) से पहले आम जनता को महंगाई के मोर्चे पर थोड़ी राहत मिल सकती है. जहां एक तरफ पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) और गैस सिलेंडर (Gas Cylinder Price) के रेट्स बढ़ रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ खाने के तेल की कीमतों में कमी आ सकती है. उद्योग निकाय SEA ने सोमवार को कहा कि उनके सदस्यों ने फैसला लिया है कि उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करने के लिए इस त्योहारी सीजन के दौरान खाद्य तेलों के थोक मूल्यों में 3-5 रुपये प्रति किलोग्राम की और कमी किया जाये.

पाम तेल की कीमतों में आई 21.5 फीसदी की गिरावट
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, सरकारी प्रयासों की वजह से 31 अक्टूबर को पाम तेल की औसत खुदरा कीमत पहले ही 21.59 फीसदी घटकर 132.98 रुपये किलो रह गई है, जो एक अक्टूबर को 169.6 रुपये प्रति किलोग्राम थी.

जानें क्या है सरसों और सूरजमुखी तेल का भाव?
सोया तेल का औसत खुदरा मूल्य इसी अवधि में 155.65 रुपये प्रति किलोग्राम से घटकर 153 रुपये प्रति किलोग्राम रह गया है. हालांकि, मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि मूंगफली तेल, सरसों तेल और सूरजमुखी तेल की औसत खुदरा कीमत 31 अक्टूबर को क्रमश: 181.97 रुपये प्रति किलोग्राम, 184.99 रुपये प्रति किलोग्राम और 168 रुपये प्रति किलोग्राम पर मजबूत बनी रहीं. 

5000 रुपये प्रति टन सस्ता होगा तेल
उपभोक्ताओं को आगे और राहत देने के लिए, सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) ने कहा, ‘‘एसईए के सदस्यों ने दिवाली उत्सव को ध्यान में रखते हुए खाद्य तेलों की कीमतों में 3,000 रुपये से 5,000 रुपये प्रति टन की कमी करने का फैसला किया है.’’

रिफाइंड 11 फीसदी हुआ सस्ता
एसईए ने कहा कि शुल्क में कटौती के बाद 10 अक्टूबर से 30 अक्टूबर के बीच पामोलीन, रिफाइंड सोया और रिफाइंड सूरजमुखी की थोक कीमतों में 7-11 फीसदी की कमी आई है. SEA ने कहा, ‘‘हालांकि इन सभी खाद्य तेलों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में काफी वृद्धि हुई है, सरकार द्वारा शुल्क में कमी ने उपभोक्ताओं पर होने वाले प्रभाव को कम किया है.’’

अन्य देशों में क्या है तेल का हाल?
इंडोनेशिया, ब्राजील और अन्य देशों में जैव ईंधन के लिए स्थानांतरण के बाद खाद्य तेलों की कम उपलब्धता के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में हुई बढ़ोतरी के अनुरूप घरेलू खाद्य तेल कीमतों में भी तेजी आई है. भारत अपनी 60 फीसदी से अधिक खाद्य तेलों की मांग को आयात से पूरा करता है. वैश्विक कीमतों में किसी भी वृद्धि का स्थानीय कीमतों पर सीधा प्रभाव पड़ता है.

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