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02 सालों में 120 मिलियन ग्राहकों को दे रहा सुविधाएं, जानिए कैसा रहा बैंक का सफर

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Union Bank’s journey: देश के कई महान संस्थाओं की तरह यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की शुरुआत काफी अच्छी और विनम्र रही. सेठ सीतारामजी किसनदयाल पोद्दार ने प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) की समाप्ति के बाद मुंबई में एक बैंक शुरू करने के लिए व्यापारिक समुदाय के लोगों से हाथ मिलाया था. जब उन्होंने बैंक खोलने का विचार किया था. उस समय उनके पास उस बिजनेस में शामिल होने और उसको सूचीबद्ध करके आगे बढ़ाने के लिए कई लोग साथ खड़े हो गए थे. इस नई शुरुआत में व्यापारिक समुदाय के साथ-साथ कई अन्य लोग भी सेठ सीतारामजी किसनदयाल पोद्दार का विश्वसनीयता से साथ दे रहे थे, जिसकी वजह से ही इस बैंक को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नाम से जाना गया.

हमारे पास एक बड़े बैंक को चलाने के लिए कुशलता होनी चाहिए. इसके अलावा दिनभर में करोड़ों रुपये के ट्रांजेक्शन करने की भी क्षमता होनी चाहिए. यद्यपि इस समय हमारे देश में बहुत सारे बैंक नहीं हैं, तथापि इसका मतलब यह भी नहीं है कि हम करोड़ों रुपये के लेनदेन और प्रबंधन को कुशलतापूर्वक नहीं कर सकते हैं. महात्मा गांधी के इन शब्दों से देश में बैंकिग सुविधाओं और सेवाओं का विस्तार हुआ. उनके इन दूरदर्शी शब्दों से ही बैंक के विकास का अनुमान लग गया था.

बैंक ने पिछले कुछ सालों में अपने आकार में व्यापक विस्तार किया है और देश के एक दिग्गज बैंक के रूप में सामने आया है. इस समय यूनियन बैंक ऑफ इंडिया देश का सार्वजनिक क्षेत्र का 5वां सबसे बड़ा बैंक है. यह बैंक शेयर बाजार में भी लिस्टेड संस्था है. बैंक की कुल शेयर कैपिटल में भारत सरकार की करीब 83.50 फीसदी हिस्सेदारी है. बता दें स्वतंत्रता के समय इस बैंक की सिर्फ 4 शाखाएं थीं, लेकिन उसके बाद में बैंक ने तेजी से अपनी शाखाओं का विस्तार किया. साल 1964 में केरल राज्य के इरिंजालकुडा में बैंक की 100वीं शाखा खोली गई थी. इसके बाद साल 1977 में बैंक द्वारा अपनी 999वीं शाखा केरल के कोचीन में खोली गई और चेतगंज, वाराणसी में 1000वीं शाखा खोली गई थी.

आज बैंक का नेटवर्क काफी बढ़ गया है. बैंक की 9300 से भी ज्यादा शाखाएं हैं. इसके अलावा 11800 से ज्यादा एटीएम हैं. इसके अलावा 8216 बीसी पॉइंट्स 77000 से भी ज्यादा कर्मचारी बैंक के साथ काम कर रहे हैं और 120 मिलियन से अधिक ग्राहकों को सेवा दे रहे हैं.

विदेशों में भी हैं बैंक की शाखाएं
इसके अलावा बैंक की हांगकांग, दुबई इंटरनेशनल फाइनेंशियल सेंटर (यूएई) और सिडनी (ऑस्ट्रेलिया) में भी 3 ब्रांच हैं. अबू धाबी (UAE) में 1 प्रतिनिधि कार्यालय, लंदन (UK) में 1 बैंकिंग सहायक कंपनी, मलेशिया में 1 बैंकिंग ज्वाइंट वेंचर, 4 पैरा-बैंकिंग सहायक कंपनियां (घरेलू); 3 ज्वाइंट वेंचर (जीवन बीमा व्यवसाय में 2 सहित) और 1 एसोसिएट – चैतन्य गोदावरी ग्रामीण बैंक भी है.

2021 में कितना था बैंक का प्रॉफिट
बैंक की पहली बैलेंस शीट दिसंबर 1920 में प्रकाशित हुई थी और इसमें 1,86,605-6 आना-1 पैसे का प्रॉफिट दिखाया गया था. 31 मार्च 2021 तक बैंक का कुल कारोबार 15,77,489 करोड़ रुपये का था, जिसमें 9,23,805 करोड़ रुपये की जमा थी और 6,53,684 करोड़ का एडवांस है. साल 1919 में बोया गया एक छोटा सा बीज, इस प्रकार हर पहलू में एक बैंकिंग दिग्गज के रूप में उभर कर सामने आया है.

1969 में हुआ था राष्ट्रीयकरण 
बैंक ने बैंक का पहला सुरक्षित जमा तिजोरी 22 अप्रैल 1939 में खोला था. बैंक का राष्ट्रीयकरण साल 1969 में 14 प्रमुख बैंकों के साथ हुआ था. 1975 में एक प्राइवेट सेक्टर के बेलगाम बैंक लिमिटेड को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में जोड़ दिया गया था, जिससे बेलगाम बैंक की 40 शाखाओं को यूनियन बैंक में जोड़ दिया गया था. इसके अलावा साल 1978 में बैंक द्विभाषिक ( हिंदी व अंग्रेजी ) रूप में वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित करने वाला पहला राष्ट्रीयकृत बैंक बना था.

बैंक को मिला था अवॉर्ड

साल 1982 में बैंक को राष्ट्रपति के द्वारा गर्वनमेंट नेशनल अवॉर्ड मिला था. यह अवॉर्ड साल 1979-80 में आउटस्टैंडिंग परफॉर्मेंस के लिए दिया गया था. पोस्ट रिफॉर्म इरा के बाद साल 1993 से 1996 के बीच बैंक ने अपना कारोबार दोगुना कर लिया था.

साल 2002 में हुआ शेयर बाजार में लिस्ट
साल 2002 में 18 करोड़ शेयरों का पब्लिक इश्यू 5.22 गुना सब्सक्राइब हुआ था, जिसके बाद बीएसई और एनएसई पर कंपनी के शेयर्स लिस्ट हो गए थे. साल 2003 में बैंक टेलीबैंकिंग के साथ-साथ कभी भी और कहीं भी बैंकिंग शुरू करने वाला सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में से पहला बैंक था. 

2007 में खोलीं 56 नई शाखाएं
साल 2007 में बैंक ने एक ही दिन में देश भर में 56 नई शाखाएं खोलीं थी. इसके अलावा बैंक ने 14300 फीट की ऊंचाई पर सेरेथांग, नाथुल्ला, सिक्किम में एटीएम स्थापित किया था. यह भारत का सबसे ऊंचा एटीएम था. साल 2008 में बैंक ने 100 फीसदी सीबीएस नेटवर्किंग हासिल कर देश का पहला बड़ा राष्ट्रीयकृत बैंक बन गया था. इसके साथ ही साल 2008 में मोबाइल बैंकिंग सुविधा शुरू करने वाला पहला सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक बन गया. 2012 में बैंक ने दृष्टिबाधित लोगों के लिए विशेष रूप से बनाए गए फर्स्ट टॉकिंग एटीएम का उद्घाटन किया था.

इन बैंकों का किया गया मर्जर
1 अप्रैल, 2020 भारत में बैंकिंग क्षेत्र के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटना है, जिसमें 10 सार्वजनिक क्षेत्र के ऋणदाताओं का चार बड़े और मजबूत बैंकों में विलय कर दिया गया. बता दें कि इस मेगा मर्जर ने सबसे अधिक लोगों का ध्यान आकर्षित किया था. इसमें मैंगलोर-मुख्यालय स्थित कॉर्पोरेशन बैंक और हैदराबाद-मुख्यालय वाले आंध्रा बैंक को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में समामेलित कर दिया गया.

शाखाओं के मामले में हैं देश का चौथा सबसे बड़ा बैंक
बैंकिंग क्षेत्र ने भारत के विकास की कहानी लिखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इसमें यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. कई उपलब्धियों के साथ अपनी स्थापना के बाद से इस क्षेत्र में देखे गए प्रगतिशील परिवर्तनों को दर्शाते हुए, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने अपना नया मुकाम हासिल किया है. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया शाखाओं के मामले में भारत का चौथा सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक और व्यापार के मामले में पांचवां सबसे बड़ा बैंक है.

बैंक ने दी लोन की सुविधाएं
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया अपनी सीएसआर कमिटमेंट को पूरा करने में सबसे आगे रहा है. इसके लिए बैंक ने वर्ष 2006 में बैंक की सीएसआर गतिविधियों को करने के लिए एक विस्तारित शाखा के रूप में यूनियन बैंक सोशल फाउंडेशन ट्रस्ट (यूबीएसएफटी) की स्थापना की. बैंक ने समाज के सभी वर्गों के लिए सामाजिक विकास और समान अवसरों पर अपना ध्यान केंद्रित करना जारी रखा है. बैंक ने समाज के विभिन्न कमजोर और अनारक्षित वर्गों विशेष रूप से महिलाओं, अल्पसंख्यक समुदाय और स्वयं सहायता समूह को लोन सुविधाएं प्रदान कीं.

कोरोना संकट में की लोगों की मदद
बैंक ने कोविड से प्रभावित कारोबार को समर्थन देने के लिए कई पहल की हैं. बैंक विभिन्न योजनाओं जैसे कि इमरजेंसी लाइन ऑफ क्रेडिट, पर्सनल लोन स्कीम, SHG COVID सुविधा लोन, यूनियन गारंटीड इमरजेंसी क्रेडिट लाइन, एक्सटेंडेड आंशिक क्रेडिट गारंटी स्कीम, आदि के माध्यम से महामारी के दौरान लिक्विडिटी संकट से निपटने में ग्राहकों की मदद की है.

टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अग्रसर
टेक्नोलॉजी के मोर्चे पर, बैंक ने कई अग्रणी पहल की हैं और अपनी शाखाओं के 100 फीसदी कम्प्यूटराइजेशन को पूरा करने वाले पहले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक का गौरव प्राप्त किया है. 100 से अधिक इन-हाउस एप्लिकेशन को प्रबंधित करने के लिए बैंक के पास पूरी तरह से सुसज्जित पेशेवरों की एक समर्पित टीम है. 

दे रहा ग्राहकों को कई सुविधाएं

बैंक सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाने और टर्न अराउंड टाइम (टीएटी) में सुधार करने के लिए आंतरिक व्यापार प्रक्रियाओं के लाइजेशन/ऑटोमेशन/इंटीग्रेशन को अपना रहा है. बैंक द्वारा की गई पहल जैसे PAPL (प्री-अप्रूव्ड पर्सनल लोन सुविधा), ऑनलाइन रिटेल और MSME लोन की स्ट्रेट थ्रू प्रोसेसिंग (STP), शिशु मुद्रा लोन के लिए एंड टू एंड डिजिटाइजेशन का कार्यान्वयन, विभिन्न लोन उत्पादों के लिए डायल-ए-लोन सुविधा दी है. मिस्ड कॉल, एसएमएस और कॉल सेंटर, डिजिटल लीड सोर्सिंग ट्रफ PSBloanin59minutes, बैंक बाजार आदि जैसे कई चैनलों के माध्यम से लोन उत्पत्ति, ग्राहकों के डिजिटल ऑन-बोर्डिंग के लिए महत्वपूर्ण हैं.

आगे क्या है बैंक की योजना?
अपनी 102 साल की लंबी यात्रा में बैंक ने आज अखिल भारतीय नेटवर्क के लिए कई चुनौतियों का सामना किया है. समामेलन के साथ, बैंक देश के सबसे बड़े वित्तीय संस्थानों में से एक बन गया है. हाल के समामेलन ने बैंक को अपनी संगठन संरचना में सुधार करने, नए कार्यक्षेत्र, नई प्रोडक्ट लाइन, नई प्रक्रिया आदि बनाने का अवसर दिया है. आगे जाकर बैंक डिजिटल और डिजिटलीकरण पर खास फोकस रखेगा.

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