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सुरों की साधिका लता मंगेशकर पिरोती हैं राग तो मानों धुन बजाने के वीणा लिए चली आती हैं सरस्वती

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<p style="text-align: justify;"><em><strong>नाम गुम जायेगा, चेहरा ये बदल जायेगा</strong></em><br /><em><strong>मेरी आवाज़ ही, पहचान है</strong></em><br /><em><strong>गर याद रहे…</strong></em></p>
<p style="text-align: justify;">बचपन में सहगल के गानों को अपनी आवाज में गुनगुनाने वाली लता को लेकर किसी ने नहीं सोचा था कि उनकी आवाज एक दिन दुनिया की बेहद खूबसूरत आवाज होगी. लोगों के बीच उनकी पहचान उनकी आवाज के जरिए होगी. लता को किसी ने सृष्टि का अमृत स्वर बताया तो किसी ने सुरीली, जीवंत आवाज की मल्लिका. तभी तो लता मंगेशकर की आवाज में जब भी कोई नगमा कहीं गूंजता है तो लोग गुनगनाने से खुद को नहीं रोक पाते. जब लता मंगेशकर गाती हैं तो ऐसा लगता है मानों साक्षात सरस्वती उनकी जिब्हा पर विराजमान हो चुकी हैं. जब वो गानों को अपनी आवाज देती है तो मानों सुर की देवी सरस्वती साक्षात अपनी वीणा लेकर धुन देने बैठ जाती हों.</p>
<p style="text-align: justify;">लता दीदी की आवाज को लेकर फिल्म इंडस्ट्री में एक दौर ऐसा भी आया जब फिल्म इंडस्ट्री के लोग यह मान बैठे थे कि अगर किसी फिल्म के गाने में लता मंगेशकर ने आवाज दे दी तो सफलता निश्चित है और अगर किसी फिल्म में गाने को लता दीदी ने अपनी सुरमई आवाज से संगीत को नहीं सजाया तो फिल्म का पिटना तय माना जाता था.</p>
<p style="text-align: justify;">लता मंगेशकर सिर्फ आवाज नहीं वो एक एहसास हैं जिन्हें सुनने वाला न सिर्फ सुनता है बल्कि महसूस भी करता है. तभी तो दुनिया की इस सबसे खूबसूरत आवाज को लेकर जावेद अख्तर ने क्या खूब कहा, ‘हमारे पास एक चांद है, एक सूरज है और एक लता मंगेशकर हैं…’ वहीं गुलजार ने उनकी आवाज को देश का एक सांस्कृतिक तथ्य बताया.</p>
<p style="text-align: justify;">नरगिस से लेकर मधुबाला तक और रेखा से लेकर माला सिन्हा की फिल्मों के लिए लता मंगेशकर ने एक के बाद एक कई गानों को अपनी आवाज से सजाया. लता मंगेशकर ने अपने करियर में कई गानों को अपनी आवाज दी और सुनने वालों के मन में उनकी आवाज की बेकरारी ऐसी कि सुनने की चाहत गई नहीं तलब बरकरार रही.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>रहें ना रहें हम, महका करेंगे.</strong><br /><strong>बन के कली, बन के सबा, बाग़े वफ़ा में…</strong></p>
<p style="text-align: justify;">संगीतकार रौशन के शब्दों को मजरूह सुलतानपुरी के संगीत से सजे धुनों पर लता मंगेशकर ने ममता फिल्म के इस गाने को जब आवाज दी तो हर कोई सन्न रह गया. वहीं 1942 अ लव स्टोरी में राहुलदेव बर्मन की संगीत और जावेद अख्तर के शब्दों को जब लता ने सुरों में पिरोया तो लोगों के पास तारीफ के लिए शब्द कम पड़ गए. आज भी जब इस गाने को कोई सुनता है तो ऐसा लगता है मानों समय का पल थम ही गया है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कुछ ना कहो, कुछ भी ना कहो</strong><br /><strong>क्या कहना है, क्या सुनना है</strong><br /><strong>मुझको पता है, तुमको पता है</strong><br /><strong>समय का ये पल, थम सा गया है</strong><br /><strong>और इस पल में कोई नहीं है</strong><br /><strong>बस एक मैं हूं बस एक तुम हो</strong></p>
<p style="text-align: justify;">यूं तो जिंदगी में बेशुमार आवाज हैं जो लोगों को लुभाते हैं. इन आवाजों में कभी चिड़ियों की आवाज लोगों को लुभाते हैं तो किसी को नदियों के बहने की आवाज. कुछ लोगों को समुद्र की लहरों की आवाज लुभाते हैं तो कुछ को हवाओं की. लेकिन लता मंगेशकर ही एक ऐसी हैं जिनकी आवाज के दिवाने न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया में करोड़ों लोग हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>आप की नज़रों ने समझा, प्यार के काबिल मुझे</strong><br /><strong>दिल की ऐ धड़कन ठहर जा, मिल गई मंज़िल मुझे</strong><br /><strong>आप की नज़रों ने समझा</strong></p>
<p style="text-align: justify;">अनपढ़ फिल्म के गाने आप की नजरों ने समझा प्यार के काबिल मुझे के लिए लिए जब राजा मेहदी अली खान के शब्दों को मदन मोहन ने सुरों में लयबद्ध किया और लता मंगेशकर ने अपनी सुरीली आवाज दी तो हर किसी के जुबान पर यह गीत चढ़ गया. आज भी कई प्रेमिकाएं अपने प्रेमी के सामने अपनी भावनाओं का इजहार करने के लिए इस गीत का सहारा लेते हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">लता मंगेशकर न सिर्फ पुराने बल्कि कई नए फिल्मों में भी अपनी संगीत दिया है. दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे फिल्म में जब उन्होंने ‘मेरे ख़्वाबों में जो आए, आ के मुझे छेड़ जाए. उससे कहो कभी सामने तो आए.’ गाने को अपने सुरों से मोतियों की तरह पिरोया तो लता मंगेशकर की आवाज का जादू युवाओं के जुवान में समा गया.</p>
<p style="text-align: justify;">लता मंगेशकर ने ने एक के बाद एक कई गानों में अपनी आवाज दी. उन्होंने हर मूड का गाना गया. चाहे रोमांटिक हो, भक्ति, मुजरा हो या सैड सॉन्ग. शायद की किसी प्रकार का गाना हो जो कि लता मंगेशकर से छूट गया हो. तड़क भड़क माने जाने वाले फ़िल्म इंडस्ट्री में लता मंगेशकर ने &lsquo;लेडी इन व्हाइट&rsquo; की जो छवि बना कर रखी वो काबिले तारीफ है. लता दीदी को लाखों सलाम.</p>

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