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सुगंधा मिश्रा ने अपनी तारीफ खुद की कहा मैं कम्प्लीट पैकेज, मल्टीटैलंटेड हूं

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छोटे परदे पर कभी अपनी सुरीली आवाज, कभी बेहतरीन कॉमिडी तो कभी अभिनय की कलाकारी से दर्शकों की चहेती बनीं सुगंधा मिश्रा ने कहा, छोटे परदे में बनने वाले रिऐलिटी शो में पुरुष कलाकारों को मुख्य अहमियत दी जाती है, जिसकी वजह से हम जैसे टैलेंटड आर्टिस्ट को अपना जौहर दिखाने का पूरा मौका नहीं मिलता और हम पीछे रह जाते हैं।
मिथुन चक्रवर्ती और कृष्णा अभिषेक संग साइन की है फिल्म

फिल्म हीरोपंथी में छोटी सी भूमिका निभाने के बाद छोटे और कमजोर रोल से दूरी बनाकर रखने वाली सुगंधा ने एक फिल्म साइन की है। इस फिल्म में उनका बड़ा और मजबूत रोल है। फिल्म के बारे में बताते हुए सुगंधा कहती हैं, पहली बार आप मुझे बड़े रोल में बड़े परदे पर देखेंगे। मेरी इस फिल्म का नाम भूतियापा है। फिल्म में मेरे अलावा मिथुन चक्रवर्ती, कृष्णा अभिषेक सहित कॉमिडी करने वाले और भी लोग हैं। कॉमिडी और डर को मिक्स करके जो सिचुएशन बनेगी, उससे हम लोगों को हंसाएंगे, यह डराने के लिए नहीं, बल्कि हंसाने वाली फिल्म है। लोगों को हमारी फिल्म के भूत पर कम और यापा पर ज्यादा ध्यान देना होगा।
फिल्मों में नेपोटिजम टीवी कॉमिडी शो में मेलोटिजम होता है
अब कॉमिडी की दुनिया में महिलाओं को तवज्जो मिल रही है। अब जाकर भारती सिंह अपना शो ला पाई हैं। टीवी की दुनिया में जब भी कोई कॉमिडी शो का फॉर्मेट तैयार किया जाता है, उसे मेल ऑरीएन्टड बनाया जाता है। मैं कहूंगी जिस तरह फिल्मों में नेपोटिजम होता है, ठीक उसी तरह टीवी की दुनिया में जो रिऐलिटी शो या कॉमिडी शो बनते हैं, उसमें मेलोटिजम यानी पुरुष को प्रधानता दी जाती है। फिल्मों में भी हमें सपॉर्टिंग किरदार के लिए लिया जाता है।
कॉमिडी के लिए मोटे या फनी दिखना जरूरी नहीं
विदेशो में देखा जाए तो बहुत सी महिला कमीडियन के शो हैं। अब कॉमिडी करने के लिए जरूरी नहीं है कि कमीडियन दिखना ज़रूरी है, मोटे होना या फनी दिखना जरूरी है। अच्छी-खासी दिखने वाली लड़की भी भी दिमाग वाली हो सकती है। लोगों को लगता है कि सुंदर लड़कियों के पास दिमाग नहीं होता। अब मैं भी तो सुंदर हूं, टैलंटड हूं, मेरे पास दिमाग कितना और कैसा है दुनिया को पता है।
कैसे बताऊं कि मैं पीछे कैसे रह गई
बहुत से लोग मुझे कहते हैं कि मुझे मेरा ड्यू मिल जाए। हाल ही में कुवैत में शो करने गई थी तो, एक बुजुर्ग महिला मेरे पास आई और मुझे भींचकर गले लगा लिया, फिर कहने लगीं, मैं इस दुनिया में रहूं या न रहूं, लेकिन तुमको तुम्हारा ड्यू यही दुआ करूंगी ऊपर वाले से। तुम बहुत टैलंटड हो। बाद में पता चला कि वह कैंसर से जिंदगी की लड़ाई लड़ रही हैं। अब मैं तो एक ऐक्टर हूं, कैसे बताऊं कि मैं पीछे कैसे रह गई। शायद हमको टाइप कास्ट कर दिया गया है। डायरेक्टर के विजन में हम फिट नहीं बैठ रहे होंगे। लड़कियों को वैसे भी कमतर आंका जाता है, ऊपर से कॉमिडी की दुनिया में और भी ज्यादा कम आंका जाता है। लोग कहते हैं एक लड़की लेलो शो में और एक बड़ा मेल फेस लेलो, जो शो को ड्राइव करे।

हीरोपंथी में मेरा रोल ही काट दिया गया था
मैंने फिल्मों में भी ट्राई किया था, लेकिन फिल्मों में मुझे बहुत छोटे-मोटे रोल, जैसे बाई के, हिरोइन की दासी के, कोई हिरोइन की फ्रेंड का छोटा सा रोल मिलता था, मैं अब इनकार करने लगी हूं, ऐसे छोटे-मोटे रोल को। मैंने तय कर लिया है कि अब मैं जब कोई बड़ा और मजबूत रोल मिलेगा तभी फिल्म में काम करूंगी। एक फिल्म की थी हीरोपंथी, जिसमें कृति सेनन की कजन बनीं थी, लेकिन बाद में मेरा रोल ही कट गया था।
मैं अपनी जगह पर हूं, भारती को थोड़ी ज्यादा जगह वैसे भी लगती है
भारती से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए सुगंधा हंसते हुए, मैं और भारती सिंह एक साथ आए थे लॉफ्टर चैलंज से। भारती बहुत टैलंटड हैं। मैं अपनी जगह पर हूं और भारती की अपनी जगह है। ( चुटकी लेते हुए ) भारती को थोड़ी ज्यादा जगह वैसे भी लगती है, इसलिए वह सबको दिखाई देती हैं। ( कॉमिडी के अंदाज में) मैं थोड़ी कमसिन और पतली सी हूं।
भारती से जलन नहीं होती आपको, वह आपसे आगे निकल गई हैं
खिलखिलाते हुए सुगंधा कहती हैं, मुझे भारती से बिल्कुल भी जलन नहीं होती है, भारती प्रॉपर कमीडियन है और मैं मल्टीटैलंटड हूं और इंटरटेनर हूं। क्योंकि मेरा और उनका जॉनर एकदम अलग है। ( जोर से हंसती हैं ) सच तो यह है कि मैं भारती की तरह कमीडियन नहीं, बल्कि इंटरटेनर हूं। ( मस्ती में खुद को महत्व देते हुए ) मैं एक कम्प्लीट पॅकेज हूं, मेरे अंदर इतना ज्यादा टेलंट है कि लोगों को समझ ही नहीं आता कि वह मुझे किस कैटिगरी में रखें। (निराश होते हुए ) इसी वजह से मुझे ढंग का कोई अवॉर्ड भी नहीं मिला आज तक। अवॉर्ड में कैटिगरी होती है, बेस्ट कमीडियन का अवॉर्ड प्रॉपर कॉमिडी करने वालों को मिलेगा, बेस्ट सिंगर का अवॉर्ड प्रॉपर सिंगर को मिलेगा।
कुछ कमीडियन सालों से एक जैसा काम कर रहे हैं
मैं मल्टीटैलंटड हूं, इसलिए मनोरंजन की दुनिया में लंबे समय तक बनी रह सकती हूं। कुछ ऐसे कमीडियन भी हैं, जो इतने सालों से एक जैसा काम कर रहे हैं। कहने को तो वह लोग अलग कैरक्टर करते हैं, लेकिन सबकुछ वैसा ही है, कुछ खास बदलाव नहीं होते हैं। चीजें रीपीट हो रही हैं, अगर आप मल्टी टैलंटड हैं तो आपके पास बहुत सी वेराइटी होती है, लोग बोर नहीं होंगे आपसे। मैं हमेशा लोगों को फ्रेश लगती हैं।

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