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गुलशन ग्रोवर ग़रीबी के चलते फिनायल और डिटर्जेंट बेचा करते थे

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गुलशन ग्रोवर की ज़िंदगी नसीरुद्दीन शाह, शत्रुघ्न सिन्हा और ऋषि कपूर की तरह  अब खुली किताब बनने जा रही है.
गुलशन ग्रोवर की ज़िंदगी के पन्नों को खोलने वाली किताब जिसका शिर्षक है ‘बैडमैन’, बहुत जल्द आप सबके सामने पेश होने वाली है.
पत्रकार रोशमिला भट्टाचार्य द्वारा लिखी गई इस बायोग्राफ़ी में गुलशन ग्रोवर की ज़िंदगी से जुड़े कई क़िस्सों-कहानियों के साथ-साथ उनकी उस ग़रीबी का भी ज़िक्र होगा, जब उन्हें दो वक़्त का खाना तक नसीब नहीं हुआ करता था.
बातचीत में अभिनेता गुलशन ग्रोवर ने अपनी ज़िंदगी के बारे में कहा, “मैंने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे. मेरा बचपन बुरे हालातों में गुज़रा. मुझे आज भी याद है कि मेरा स्कूल दोपहर का था. लेकिन मैं सुबह ही बस्ते में स्कूल की यूनिफॉर्म रखकर घर से निकल जाया करता था.”
ग्रोवर कहते हैं, “हर सुबह मैं अपने घर से दूर बड़ी-बड़ी कोठियों में बर्तन और कपड़े धोने वाला डिटर्जेंट पाउडर बेचा करता था. कभी डिटर्जेंट पाउडर, तो कभी फ़िनाइल की गोलियां, तो कभी पोछे. ये सब बेचकर पैसा कमाता था, जिससे स्कूल का ख़र्चा निकल सके. उन कोठियों में रहने वाले मुझसे सामान ख़रीद भी लिया करते थे, क्योंकि वो सब चाहते थे कि मैं अपनी आगे की पढ़ाई कर सकूं. मेरी ग़रीबी से मैं कभी घबराया नहीं. इसकी सबसे बड़ी वजह है मेरे पिता. जिन्होंने हमेशा हमें ईमानदारी और मेहनत के रास्ते पर चलना सिखाया.”

गुलशन कहते हैं, “मैंने अपनी किताब में कई बातों का ज़िक्र किया है. सबसे ज़्यादा दर्द मुझे अपनी किताब में माता-पिता से जुड़ी यादों का ज़िक्र करने में हुआ. उन दिनों हमारे पास खाने के लिए भी पैसे नहीं थे. कई दिन भूखे रहना पड़ा. मुझे इस बात को कहने में कोई शर्म नहीं है कि कॉलेज तक हमारा हाल यही रहा और जब एक्टिंग के लिए मुंबई आया, तब भी कई बार भूखा ही रहा. हर दिन यही सोचता था कि आज का दिन कहा निकालूं, कहा जाऊं, लेकिन हिम्मत नहीं हारी. जीतने की कोशिश करता रहा. परिणाम आप सबके सामने है.”

गुलशन बताते है, “मेरी पहली फ़िल्म ‘हम पांच’ नहीं रॉकी थी. जिसकी शूटिंग पहले शुरू हुई थी. मुझे अभिनय का बहुत शौक़ था, इसलिए थिएटर करता रहा और खलनायक के किरदारों के लिए मैंने प्रेम नाथ, प्राण, अमरीश पुरी, अमजद ख़ान, सभी को देखकर बहुत कुछ सीखा. उन सभी को देख मैंने अपनी अलग पहचान बनाई. इसलिए अलग काम और अलग स्टाइल बनाने की कोशिश की. देखते ही देखते मैं एक ज़बरदस्त खलनायक बन गया. आज इतने सालों बाद जब खलनायकों को लोग भूल गए हैं, ऐसे में लोगों के प्यार और दुआओं की वजह से मुझे फिर से मौक़े मिल रहे हैं. मैं सूर्यवंशी, सड़क 2 जैसी बड़ी फ़िल्मों में खलनायक की भूमिका निभा रहा हूं.”

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