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जब हिंदी फिल्म मेकर्स को था एआर रहमान के हुनर पर शक, फिर इस डायरेक्टर ने दिया था बड़ा चांस

When Bollywood saw AR Rahman’s success as fluke: म्यूज़िक भाषा की बाधाओं को तोड़ता है और भारत जैसे देश में, जहां हर शहर के साथ बोलियां और भाषाएं बदलती हैं, वहां, म्यूज़िक लोगों को एक-दूसरे से जोड़ता है. वहीं, साल 1992 में मणिरत्नम की फिल्म ‘रोजा’ रिलीज़ हुई, जो बॉक्स ऑफिस पर बड़ी हिट साबित हुई थी. लेकिन फिल्म में दर्शकों को जिसने सबसे ज्यादा आकर्षित किया वो था एआर रहमान (AR Rahman) का म्यूज़िक. इसके बाद फिल्म ‘बॉम्बे’ में भी रहमान (AR Rahman) के संगीत ने हर किसी का दिल चुरा लिया. इसके अलावा ‘हम्मा-हम्मा’ और ‘छैय्या छैय्या’ को भला कौन भूल सकता है. आज भी ये गाने लोगों की फेवरेट लिस्ट में बने हुए हैं. 


फिल्म ‘रोजा’ की अपार सफलता ने रहमान को राष्ट्रीय पुरस्कार दिलवाया. इसी के साथ एआर रहमान तमिल सिनेमा में मशहूर हो गए. राम गोपाल वर्मा, जो अपनी फिल्म ‘रंगीला’ के लिए रहमान को लेने वाले पहले बॉलीवुड डायरेक्ट थे, ने साल 2013 में अपने ब्लॉग में शेयर किया था कि ‘मेरे प्रड्यूसर्स ने अनु मलिक को फिल्म के म्यूज़िक कंपोज़र के तौर पर पसंद किया, क्योंकि उन्हें लगा कि रहमान का संगीत हिंदी सिनेमा में काम नहीं करेगा’.


लेकिन फिल्म ‘रंगीला’ के म्यूज़िक ने हर किसी को अपना दीवाना बनाया. 90 के दशक में ‘मिनसारा कानवु’, ‘कधलन’, ‘इंडियन’, ‘मिस्टर रोमियो’, ‘कधल देशम’, ‘जीन्स’ जैसी तमिल फिल्मों के अलावा कई भाषाओं में रहमान के गाने खूब हिट हुए, क्योंकि रहमान के संगीत ने सभी क्षेत्रीय सीमाओं को पार कर लिया था. इसी वजह से वो पहले पैन- इंडियन कलाकार बने. 90 के दशक में रहमान के डब गाने हर कैसेट की दुकान पर बिकता था. रहमान ने ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ के लिए अपने साउंडट्रैक के लिए खूब वाहवाली लूटी. रहमान बाफ्टा, गोल्डन ग्लोब और अकादमी अवॉर्ड जीतने वाले भारतीयों में से एक हैं. 

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