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द कश्मीर फाइल्सः 700 से ज्यादा पीड़ित परिवारों के इंटरव्यू पर बेस्ड है फिल्म, आज भी हरे हैं घाव

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विवेक अग्निहोत्री की फिल्म द कश्मीर फाइल्स इन दिनों खूब चर्चा में है. इसके पीछे कारण है फिल्म का कंटेंट. फिल्म कश्मीरी पंडितों पर बनी है. 1990 में हुई कश्मीर हिंसा को इस फिल्म में दिखाने की कोशिश की गई है और साथ ही वो द्वंद भी दिखाया गया है जो उस दौर की पीढ़ी और आज की पीढ़ी के बीच चल रहा है लेकिन ये फिल्म कितनी सत्यता पर आधारित है और कितनी काल्पनिक है. इसक जवाब एबीपी को दिए एक इंटरव्यू में पल्लवी जोशी ने दिया जो फिल्म में एक अलग रूप में नजर आने वाली हैं.

700 से ज्यादा पीड़ित परिवार से की बात
कहते हैं सिनेमा समाज का आईना है. इसलिए सिनेमा की ये जिम्मेदारी है कि समाज से जुड़े किसी मुद्दे को दिखाते वक्त सत्यता की प्रमाणिकता जांच लें. पल्लवी जोशी की मानें तो इस फिल्म को बनाने से पहले इस बात का खास ख्याल रखा गया था. इसलिए तकरीबन 700 ऐसे परिवारों से बात की गई जिन्होंने सीधे तौर पर कश्मीर की इस हिंसा को झेला. उन्हें विस्थापित होना पड़ा और वो आज भी उसी टीस के साथ जी रहे हैं.

आप बीती सुन कांप गई थीं पल्लवी जोशी
पल्लवी जोशी ने इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने खुद उन परिवारों से बात की थी. उनकी आप बीती इतनी दर्द भरी थी कि जब पल्लवी ने सुना तो कुछ मौकों पर उन्हें ऐसा लगा कि शायद आगे अब वो नहीं सुन सकेंगीं.

आज भी हरे हैं कश्मीरी पंडितों के जख्म
पल्लवी जोशी ने उनसे बात करके जाना कि कश्मीरी पंडितों के घाव 3 दशकों के बाद भी भरे नहीं है. बस वक्त का हल्का सा मरहम तो लगा लेकिन आज भी वो अंदर से हरे हैं. थोड़ा से कुरेदने पर ही सब दर्द दिखने लगता है. फिल्म 11 मार्च को रिलीज हो रही है.  

ये भी पढ़ेंः द कश्मीर फाइल्स का दूसरा ट्रेलर रिलीज, देखकर आंखें हो जाएगी नम और दिल से आएगी एक आवाज़ ‘हम देखेंगे’ 

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