नई दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने गैंगस्टर विकास दुबे मुठभेड़ कांड और पुलिसकर्मियों के नरसंहार की घटनाओं की जांच के लिये गठित जांच आयोग के दो सदस्यों को बदलने के लिये दायर याचिका मंगलवार को खारिज कर दी। इस याचिका में आयोग के सदस्य उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश शशि कांत अग्रवाल और पूर्व पुलिस महानिदेशक के एल गुप्ता को हटाने का अनुरोध किया गया था।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने गुप्ता द्वारा दिये गये इंटरव्यू से संबंधित मीडिया की खबरों का अवलोकन किया और कहा कि इससे जांच पर असर नहीं पड़ेगा क्योंकि शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश इस आयोग का हिस्सा हैं। शीर्ष अदालत आयोग के सदस्यों को बदलने के लिये याचिकाकर्ता घनश्याम उपाध्याय और अनूप प्रकाश अवस्थी के दो आवेदनों की सुनवाई कर रही थी। शीर्ष अदालत ने 22 जुलाई को अपने आदेश में कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या और इसके बाद मुठभेड़ में विकास दुबे और उसके पांच सहयोगियों के मारे जाने की घटनाओं की जांच के लिये शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश डॉ. बलबीर सिंह चौहान की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच आयोग के गठन के मसौदे को मंजूरी दी थी। न्यायालय ने कहा था कि जांच आयोग एक सप्ताह के भीतर अपना काम शुरू करके इसे दो महीने में पूरा करेगा। कानपुर के चौबेपुर थाना के अंतर्गत बिकरू गांव में तीन जुलाई को आधी रात के बाद विकास दुबे को गिरफ्तार करने गयी पुलिस की टुकड़ी पर घात लगाकर किये गये हमले में पुलिस उपाधीक्षक देवेन्द्र मिश्रा सहित आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गये थे। विकास दुबे 10 जुलाई को मुठभेड़ में उस समय मारा गया, जब उज्जैन से उसे लेकर आ रही पुलिस की गाड़ी कानपुर के निकट भौती गांव इलाके में कथित तौर पर दुर्घटनाग्रस्त हो गयी और मौके का फायदा उठाकर दुबे ने भागने का प्रयास किया। दुबे के मारे जाने से पहले अलग-अलग मुठभेड़ों में उसके पांच कथित सहयोगी भी मारे गये थे।
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