नईदिल्ली, सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ साल 2009 में दायर किये गये अदालत के अवमानना के मामले की सुनवाई अब 10 सितंबर को होगी. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुआई वाली तीन सदस्यीय पीठ ने चीफ जस्टिस आफ इंडिया से अनुरोध किया है कि इस मामले को उचित बेंच को भेजे. जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुआई वाली तीन जजों की बेंच ने इस मामले को अलग बेंच के पास भेज दिया. दरअसल इसकी वजह यह है कि जस्टिस मिश्रा 2 सितंबर को रिटायर हो रहे हैं.
अदालत के इस फैसले के बाद नई पीठ यह देखेगी कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अदालत की अवमानना को कैसे संतुलित किया जा सकता है. यही पीठ अब यह फैसला भी करेगी कि इसे बड़ी बेंच के पास भेजा जाना चाहिए या नहीं. बता दें यह मामला 11 साल पहले तहलका पत्रिका को दिए गए इंटरव्यू से जुड़ा है. अब इस मामले में अगली सुनवाई 10 सितंबर को होगी.
इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस मिश्रा ने कहा कि इसमें न केवल अटॉर्नी, बल्कि एमिकस क्यूरी की मदद भी जरूरी हो सकती है. बता दें शीर्ष न्यायालय में भूषण के खिलाफ अवमानना के दो मामले हैं. शीर्ष न्यायालय ने नवंबर 2009 को भूषण और पत्रकार तरुण तेजपाल को एक अवमानना नोटिस जारी किया था. एक समाचार पत्रिका में कुछ मौजूदा एवं कुछ पूर्व न्यायाधीशों के बारे में कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने को लेकर यह नोटिस जारी किया गया था.
दूसरे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका के खिलाफ दो ट्वीट के लिए 14 अगस्त को भूषण को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था और कहा कि इन्हें जनहित में न्यापालिका के कामकाज की स्वस्थ आलोचना नहीं कहा जा सकता. प्रशांत भूषण के इस मामले में अदालत मंगलवार को सजा सुना सकती है. इससे पहले अदालत ने भूषण से माफी मांगने को कहा था लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया था.