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भारत बंद का व्यापक असर : पंजाब-हरियाणा हुए ठप तो पश्चिमी यूपी में भी भारी असर

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नई दिल्ली , कृषि कानूनों के विरोध में किसानों द्वारा बुलाया गया 26 मार्च का भारत बंद काफी सफल साबित हुआ है। बंद का सबसे ज्यादा असर पंजाब और हरियाणा में देखने को मिला, जहां दोनों राज्य पूरी तरह ठप हो गये। यहां सामान्य आवाजाही से लेकर प्रमुख मंडियों तक में कामकाज पूरी तरह बंद रहा।

देश की राजधानी दिल्ली में सुबह से ही भारत बंद काफी प्रभावी दिखा। किसानों ने यहां धरना स्थलों के आसपास आवाजाही के दोनों रास्ते बंद कर दिए, जिससे लोगों को परेशान होना पड़ा।
ऑल इंडिया किसान संघर्ष समन्वय समिति के नेता डॉ. आशीष मित्तल ने बताया कि ओखला, गाजीपुर और आजादपुर की सब्जी मंडियों में कामकाज नहीं हुआ। किसानों ने सुबह से ही गाजीपुर के धरना स्थल के आसपास आवाजाही के दोनों मार्ग बंद कर दिए। ओखला और मायापुरी में भी किसानों ने जाम लगा दिया, जिसके कारण लोगों को आवाजाही में भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।

गाजीपुर बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और सिन्धु बॉर्डर पर किसानों ने जमकर प्रदर्शन और नारेबाजी की। कई जगहों पर प्रदर्शन के साथ-साथ नाच-गाने का माहौल बना दिया गया। आज के भारत बंद का सबसे अहम पहलू यह रहा कि इसमें आम लोगों की भी खासी भागीदारी दिखाई पड़ी। लोगों ने जाम की समस्या को देखते हुए ज्यादातर ने अपने घरों में ही रहना ठीक समझा, जिससे बंद और ज्यादा प्रभावी हो गया।


उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर पुलिस से टकराव
किसान नेता धर्मेन्द्र मलिक ने बताया है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भारत बंद काफी सफल रहा है। मेरठ, गाजियाबाद, सहारनपुर, बागपत, मथुरा और शामली जैसे इलाकों में बंद बहुत प्रभावी रहा है और इसमें लोगों का साथ मिला है। पंजाब और हरियाणा के असर के कारण पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भारत बंद बहुत प्रभावी देखा गया। यहां पर कई जगहों पर सड़क जाम करने को लेकर किसानों की पुलिस से झड़प भी हुई। भारतीय किसान यूनियन के नेता रमेश गुप्ता ने बताया कि किसानों के भारत बंद से ठीक पहले प्राइवेट कंपनियों ने उर्वरकों के मूल्य में 300 रुपये प्रति क्विंटल तक की बढ़ोतरी कर दी है। इससे किसानों का आक्रोश अचानक बढ़ गया है। किसानों ने उर्वरकों के मूल्य में इस वृद्धि के खिलाफ प्रयागराज के इफ्को चौक पर प्रदर्शन करने की योजना बनाई थी। लेकिन पुलिस ने किसानों को प्रदर्शन करने से रोकने का प्रयास किया जिससे पुलिस और किसानों में टकराव की स्थिति बन गई। इसके बाद भी किसानों ने प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार के खिलाफ डीजल मूल्यों में बढ़ोतरी के कारण जमकर नारेबाजी की।

बिहार में आरजेडी ने बढ़ाई मुश्किल
बिहार में सत्तारूढ़ भाजपा-जेडीयू और विपक्ष आरजेडी में तकरार अपने चरम पर है। विपक्षी दल के विधायकों की विधानसभा में पिटाई को लेकर माहौल गर्म है। दोनों पक्षों के इस टकराव का सीधा असर किसान आन्दोलन पर पड़ा और विपक्ष ने किसान आन्दोलन को अपना पूरा साथ दिया। इसका असर हुआ है कि बिहार के अलग-अलग क्षेत्रों में भारत बंद का काफी असर रहा। राजधानी पटना के साथ-साथ मधेपुरा, वैशाली, चंपारण, पश्चिमी चंपारण में किसानों ने जगह-जगह पर जाम लगाया और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।


उत्तराखंड में भी हुए प्रदर्शन
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत किसानों के एक विरोध प्रदर्शन में भाग लेने शुक्रवार को उत्तराखंड के विकास नगर में पहुंचे थे। राकेश टिकैत ने यहां कहा कि केंद्र सरकार को यह ग़लतफहमी हो गई है कि अब उसका कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता। यही कारण है कि किसानों के सौ दिनों से भी ज्यादा लंबे प्रदर्शन को देखने के बाद भी वह टस से मस नहीं हो रही है। उन्होंने चेतावनी दी है कि जिन किसानों ने सरकार को सत्ता में पहुंचाया है, वही उसे अगले चुनाव में उखाड़ फेंकेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा को अपनी गलतफहमी का अहसास वर्तमान में चल रहे पांच राज्यों का चुनाव परिणाम आने के बाद खुद ही हो जाएगा। उत्तराखंड के अनेक इलाकों में किसानों ने भारत बंद के समर्थन में प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

2024 तक आन्दोलन करने को तैयार
किसान नेता अविक साहा ने कहा है कि इन किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने के बिना उनका आन्दोलन वापस नहीं होगा। अगर सरकार यही चाहती है कि देश के किसान खेतों की बजाय सड़कों पर पड़े रहें तो वे सौ दिन ही नहीं, 2024 तक के चुनावों तक आन्दोलन करने को तैयार हैं।

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