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किसानों का सम्मान करने के बदले अपमान कर रही सरकार

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नई दिल्ली , शेतकरी संगठन के अध्यक्ष और कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट की बनाई गई कमेटी के सदस्य अनिल घनवट ने कोरोना काल में केंद्र और राज्य सरकारों पर किसानों का सम्मान करने के बदले अपमान करने का आरोप लगाया है।

किसानों को असली कोरोना योद्धा बताते हुए घनवट ने कहा कि अगर सरकार इनका सुध नहीं लेते तो देशव्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा। उन्होंने कोरोना काल में किसानों की उपेक्षा का आरोप लगाया और इनके लिए मुआवजा की व्यवस्था करने की मांग की।

घनवट ने कहा कि पूरा देश एक साल से लॉकडाउन झेल रहा है। इस दौरान किसानों ने अपनी जान जोखिम में डाल कर देश को भूखों मरने से बचाया। इसके बावजूद न तो इन्हें कोरोना योद्धा के रूप में स्वीकारा गया, न ही बीमा कवर या आर्थिक मदद के योग्य समझा गया। घनवट ने कहा कि कोरोना काल में किसान बेहाल हैं मगर प्रधानमंत्री से ले कर किसी राज्य के मुख्यमंत्री के मुंह से इनके लिए सम्मान या सराहना का एक शब्द नहीं निकला।

बदहाल हो रहे हैं किसान
घनवट ने कहा कि होटल व्यवसाय बंद होने के कारण किसानों की हालत दयनीय हो गई है। कृषि उपज औने पौने दामों पर बिक रहे हैं। दूध की एक लीटर की लागत तीस रुपये है। जबकि किसानों को महज 20 से 21 रुपये ही मिल रहे हैं। स्थिति बदतर होने के एक कारण यह भी है कि हरा चारा खुराक दवा और दानापानी की कीमतें आसमान छू रही हैं। इसके बावजूद किसानों के राहत देना तो दूर इन्हें सम्मान तक देना जरूरी नहीं समझा गया।

राज्यों ने बरती अमानवीयता
घनवट ने राज्यों पर किसानों के प्रति अमानवीयता अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि किसानों को आर्थिक मदद देने की जरूरत है। इसके बदले कई राज्य सरकारों ने इस संकटकाल में कर्ज वसूली हेतु जमीन की नीलामी की अनुमति दी, बिजली बिलों के लिए खेतों की बिजली काटी, रही सही कसर दलहन का आयात करके पूरी कर दी।

आंदोलन का आह्वान
उन्होंने दुग्ध उत्पादक किसानों को दस रुपये प्रति लीटर मुआवजा देने और अन्य किसानों के लिए मुआवजा की घोषणा की मांग की। उन्होंने बताया कि सरकार ने अगर ऐसा नहीं किया तो जल्द आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी। इस संबंध में उन्होंने व्यक्तिगत रूप से कई संगठनों से संपर्क साधा है।

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