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कोलकाता: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के आठ विधायकों ने विधायक मुकुल रॉय की लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के विरोध में मंगलवार को विधानसभा की विभिन्न समितियों के प्रमुखों के रूप में इस्तीफा दे दिया.
विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने रॉय की पदोन्नति पर आपत्ति जताते हुए तर्क दिया कि विधायक, जो पिछले महीने बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतने के बाद सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में चले गए थे, उन्हें बीजेपी का विधायक नहीं माना जा सकता.
परिपाटी के अनुसार, मुख्य विपक्षी दल के विधायक को पीएसी अध्यक्ष बनाया जाता है और मुकुल रॉय ने पार्टी बदलने के बावजूद सदन में बीजेपी विधायक के रूप में पद नहीं छोड़ा है.
बीजेपी के विधायकों में से एक मनोज तिग्गा ने एक स्थायी समिति से इस्तीफा देने के बाद कहा, ‘‘रॉय की नियुक्ति अलोकतांत्रिक और पक्षपातपूर्ण राजनीति का नग्न प्रदर्शन है. इसके विरोध में, हमने पद छोड़ने का फैसला किया है.’’
अधिकारी के नेतृत्व में मिहिर गोस्वामी, भीष्म प्रसाद शर्मा और तिग्गा सहित आठ विधायक बाद में राज्यपाल जगदीप धनखड़ को ‘‘सत्तारूढ़ दल द्वारा लोकतांत्रिक मानदंडों के घोर उल्लंघन’’ से अवगत कराने के लिए राजभवन गये.
A Delegation of opposition MLAs led by the Leader of Opposition #WBLA Shri @SuvenduWB called on WB Governor Shri Jagdeep Dhankhar at Raj Bhawan Kolkata today at 4 PM.
Leader of Opposition submitted a representation as regards irregularities relatable to PAC Chairman #WBLA. pic.twitter.com/rY7jZeEYK0
— Governor West Bengal Jagdeep Dhankhar (@jdhankhar1) July 13, 2021
इस बीच, सदन में तृणमूल कांग्रेस के उप मुख्य सचेतक तापस रॉय ने कहा कि यह बीजेपी का फैसला था और वह उस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी विधानसभा समिति के लिए नियुक्तियों को अध्यक्ष के विवेक पर छोड़ दिया जाना चाहिए, जिन्होंने इस मामले में नियम का पालन किया. यह ध्यान में रखना होगा कि बीजेपी सत्ता पर कब्जा करने के लिए पूरे देश में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारों को गिराने की साजिश रच रही थी. उन्हें लोकतांत्रिक मूल्यों पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है.’’
गौरतलब है कि रॉय को पीएसी का प्रमुख बनाए जाने के बाद नौ जुलाई को बीजेपी विधायकों ने विधानसभा में बहिर्गमन किया था.
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