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क्या महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार गिरवाना चाहते हैं कांग्रेस नेता नाना पटोले?

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मुंबई: एक शख्स जिसने इन दिनों अपने बयानों की वजह से महाराष्ट्र की राजनीति को गर्मा रखा है वे हैं नाना पटोले. महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रमुख पटोले आए दिन ठाकरे सरकार में सत्ता की साझेदार शिवसेना और एनसीपी पर निशाना साधते रहते हैं. जिससे सियासी हलकों में चर्चा छिड़ जाती है कि ठाकरे सरकार के घटक दलों में मतभेद है और सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई है.

58 साल के नाना पटोले का सियासी करियर हमेशा चर्चा में रहा है. 1999 से लेकर साल 2014 तक पटोले लगातार तीन बार चुनाव जीतकर विधायक रहे हैं. साल 2014 में उन्होने बीजेपी के टिकट पर भंडारा-गोंदिया सीट से चुनाव लडा और एनसीपी उम्मीदवार प्रफुल्ल पटेल को डेढ़ लाख वोटों से हराकर सांसद चुने गए लेकिन बतौर सांसद वे ज्यादा दिन टिके नहीं. उन्होंने पीएम मोदी की कार्यशैली के खिलाफ बिगुल बजा दिया. पटोले का कहना था कि मोदी अपनी पार्टी के सांसदों के साथ अपमानजनक व्यवहार करते थे. इसके बाद उन्होने सांसद के पद से और बीजेपी से इस्तीफा दे दिया.

विधानसभा के स्पीकर बने

2018 में बीजेपी छोडने के बाद उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ली. अक्टूबर 2019 में सकोली विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर वे फिर एक बार विधायक बन गए. उसी साल जब शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की महाविकास आघाडी की सरकार बनी तो पटोले को विधानसभा का स्पीकर बनाया गया. पटोले बतौर स्पीकर सख्ती से काम करते थे. हाल ही में उन्होंने स्पीकर पद से इस्तीफा दे दिया और उन्हें महाराष्ट्र कांग्रेस का प्रमुख बना दिया गया. इस पद पर आते ही पटोले ने ठाकरे सरकार की सहयोगी पार्टियों पर निशाना साधना शुरू कर दिया. पटोले के आक्रमक तेवरों ने सियासी हलकों में ये चर्चा छेड दी कि क्या कांग्रेस ठाकरे सरकार से समर्थन वापस लेना चाहती है.

प्रदेश कांग्रेस का प्रमुख बनने के बाद पटोले के इस बयान ने विवाद खड़ा किया कि कांग्रेस अगले चुनाव अकेले ही लडेगी. पटोले का ये बयान शरद पवार के उस बयान के विपरीत था जिसमें उन्होंने सरकार बनने के बाद कहा था कि तीनों पार्टियां आने वाले सभी चुनाव एक साथ लडेंगीं. दरअसल, बीजेपी के खिलाफ पवार महाराष्ट्र मॉडल को दूसरे राज्यों और केंद्र के लिए भी अमल में लाना चाहते थे.

क्या है ताजा विवाद?

पटोले की ओर से ताजा विवाद तब खड़ा हुआ, जब उन्होंने हाल ही में लोनावाला में पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. पटोले ने कहा कि सीएम उद्धव ठाकरे और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार मेरी निगरानी कर रहे हैं. उन्हें पता है कि मैं क्या कर रहा हूं. पटोले का कहना था कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि एनसीपी और शिव सेना डरे हुए हैं. कांग्रेस जमीन पर ताकतवर हो रही है. पटोले ने अजीत पवार पर निशाना साधते हुए ये भी कहा कि वे पुणे के प्रभारी मंत्री हैं लेकिन कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का काम नहीं करते. उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे अपना गुस्सा सहेजकर रखें ताकि पुणे में कांग्रेस का प्रभारी मंत्री आ सके. जब पटोले के इस बयान पर विवाद हो गया तो उन्होंने कहा कि उनके बयान को गलत संदर्भ में लिया गया. वे बीजेपी पर निशाना साध रहे थे क्योंकि बीजेपी के कार्यकाल में उनके फोन टेप किया जा रहे थे.

ताजा विवाद के पहले भी पटोले ये कह चुके हैं कि महाराष्ट्र का सत्ताधारी गठबंधन स्थाई नहीं है. इसे सिर्फ बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए बनाया गया है. कांग्रेस आने वाले वक्त में अकेले ही चुनाव लडेगी. दूसरी तरफ पटोले के बयानों को न तो उनकी पार्टी के दूसरे नेता गंभीरता से ले रहे हैं और न ही कांग्रेस और एनसीपी के. ये जरूर है कि पटोले के बयानों से विपक्षी पार्टी बीजेपी को ठाकरे सरकार को घेरने के लिए मौका मिल जाता है. सियासी हलकों में कुछ लोग नाना पटोले को महाराष्ट्र के दिग्विजय सिंह कहते हैं जो आए दिन अपने बयानों की वजह से चर्चा में रहते हैं.

यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ बयानबाजी के बाद डैमेज कंट्रोल में जुटी कांग्रेस, नाना पटोले ने अपने बयान पर दी ये सफाई

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