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नई दिल्ली। कांग्रेस की शीर्ष नेता सोनिया गांधी ने आज दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि यंग इंडियन (वाईआई) कंपनी के 90 करोड़ रुपये के ऋण को जब शेयरों में बदला गया तो इससे कर लगाने लायक कोई आय नहीं हुई।
पचास लाख रुपये की पूंजी के साथ नवंबर 2010 में शुरू हुई कंपनी यंग इंडियन ने नेशनल हेराल्ड अखबार की मालिकाना कंपनी एजेएल की लगभग सारी हिस्सेदारी हासिल कर ली थी। इस प्रक्रिया में वाईआई ने एजेएल का 90 करोड़ रुपये का ऋण भी अधिग्रहीत कर लिया था।
सोनिया गांधी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम ने न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायूमर्ति ए के चावला की पीठ के सामने दलीलें दीं। चिदंबरम ने कहा कि अगर यह कर योग्य आय है तो भी यह पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष जैसे यंग इंडियन के हिस्सेदारों के हाथों में नहीं जाएगी।
दलीलें सुनने के बाद, जब अदालत ने कहा कि वह औपचारिक नोटिस जारी करेगी, अतिरिक्त सालिसिटर जनरल (एएसजी) तुषार मेहता ने कहा कि इसकी जरूरत नहीं है क्योंकि वह अदालत में मौजूद हैं।
इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए 16 अगस्त की तारीख तय की और उस दिन एएसजी कर विभाग द्वारा की गई कार्रवाई के बचाव में दलीलें देंगे। अदालत ने कहा कि उसके द्वारा दलीलों के निष्कर्ष पर अपना फैसला सुरक्षित रखने के बाद वह कर विभाग से फैसला सुनाए जाने तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने को कहेगी।
पीठ ने सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी नेता आस्कर फर्नांडीज की तरफ से दायर याचिकाओं की सामग्री की रिपोर्टिंग पर रोक संबंधी कोई आदेश पारित नहीं किया।
सोनिया, राहुल और फर्नांडीज ने इस साल मार्च में वर्ष 2011-12 के लिए उनके कर का आकलन फिर से किये जाने को चुनौती दी है। राहुल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने कहा कि सुनवाई के दौरान दलीलों को रिपोर्ट किया जा सकता है।
उन्होंने अदालत से यह आदेश देने का अनुरोध किया कि याचिकाओं की सामग्री के संबंध में गोपनीयता बनाई रखी जाए। हालांकि पीठ ने कोई निर्देश देने से इंकार करते हुए कहा, ‘‘हम इन सब में नहीं जा सकते।
एक घंटे से अधिक समय चली सुनवाई के दौरान चिदंबरम ने कहा, ‘‘जब ऋण को शेयर में तब्दील किया जाता है तो इससे कोई आय नहीं होती और अगर होती भी है तो यह हिस्सेदार की आय नहीं है।