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Monsoon session: सत्र के दूसरे हफ्ते के पहले दिन भी हंगामा, प्रभावित हुई सदनों की कार्यवाही

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Parliament Monsoon session: संसद के मानसून सत्र के दूसरे हफ्ते की शुरूआत भी हंगामे के साथ ही हुई है. विपक्ष के हंगामे के चलते संसद के दोनों सदनों यानी लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही दिनभर स्थगित होती रही. विपक्ष लगातार कथित जासूसी कांड और किसान आंदोलन के मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश करता रहा और इस सब के बीच सदन की कार्यवाही लगातार बाधित होती रही.

लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष अलग-अलग मुद्दों को लेकर सरकार पर हमलावर था. राज्यसभा में विपक्ष जहां पेगासस कथित जासूसी मुद्दे पर सरकार से चर्चा की मांग कर रहा था. तो वहीं लोकसभा में किसान आंदोलन और तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के मुद्दे पर चर्चा की मांग की जाती रही. दोनों ही सदनों में विपक्ष का हंगामा इस कदर था कि सदन की कार्यवाही दिन भर प्रभावित होती रही.

यह मॉनसून सत्र का लगातार दूसरा हफ्ता है जब सदन की कार्यवाही विपक्ष के हंगामे के चलते बाधित हो रही है. इससे पहले मॉनसून सत्र के पहले हफ्ते के दौरान भी विपक्ष लगातार सरकार को घेरने के लिए जासूसी और कृषि कानूनों जैसे मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा करता रहा. हालांकि पिछले हफ्ते के दौरान केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जासूसी मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में बयान जरूर दिया लेकिन विपक्ष उसको काफी नहीं मान रहा और इसी वजह से इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा की मांग दोहरा रहा है. 

हालांकि राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल और संसदीय कार्य राज्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने राज्यसभा के उपसभापति को जानकारी दी कि उन्होंने इस गतिरोध को खत्म करने के लिए तमाम विपक्षी दलों के नेताओं से बातचीत करने की कोशिश भी की लेकिन कुछ विपक्षी दल के नेता उस बातचीत के लिए भी तैयार नहीं थे. पियूष गोयल की तरफ से राज्यसभा में कहा गया कि सरकार इस गतिरोध को खत्म करने के लिए हर चर्चा के लिए तैयार है जिससे कि सदन की कार्यवाही सुचारू ढंग से चल सके. लेकिन विपक्ष की कुछ पार्टियां ऐसा नहीं चाहती और इस वजह से यह हंगामे के हालात बने हुए.

हंगामें के बीच पारित हुए दो बिल

आज लोकसभा में जारी हंगामें की बीच ही सरकार ने दो बिल भी पारित करवा दिए. इनमें पहला बिल छोटे और मझौले उद्यमियों को पेमेंट में होने वाली समस्या से निजात दिलाने के लिए जबकि दूसरा बिल खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के तहत आने वाले दो संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व का दर्जा देने से जुड़ा है. कहने की ज़रूरत नहीं है कि दोनों बिल बिना चर्चा के पारित कर दिए गए.

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