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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि गत 31 मार्च को खत्म हुए वित्त वर्ष में सरकार के कर राजस्व में करीब पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. उन्होंने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी.
वित्त मंत्री ने कहा कि 2020-21 में कुल कर (प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर) राजस्व 14.24 लाख करोड़ रुपये था जो इससे पहले के वित्त वर्ष के मुकाबले पांच प्रतिशत अधिक है. वर्ष 2019-20 में कर राजस्व 13.56 लाख करोड़ रुपये था.
निर्मला सीतारमण के अनुसार, सरकार ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर संग्रह बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं. बहरहाल, गैर-कर राजस्व में 36 प्रतिशत की गिरावट आई. वर्ष 2021 में यह 2.08 लाख करोड़ रुपये था, जबकि इससे पहले के वित्त वर्ष में यह 3.27 लाख करोड़ रुपये रहा.
बंगाल के वित्त मंत्री ने बीमा कंपनियों के निजीकरण के खिलाफ सीतारमण को पत्र लिखा
इधर, पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर सार्वजनिक बीमा कंपनियों के निजीकरण की दिशा में आगे नहीं बढ़ने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि निजीकरण के कदम से देश के लोगों में असुरक्षा और संकट की भावना पैदा हुई है.
मित्रा ने पत्र में कहा, ‘‘मैं सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों का निजीकरण करने के भारत सरकार के नीतिगत फैसले पर अपनी ओर से चिंता व्यक्त कर सकता हूं, जो अर्थव्यवस्था के स्तंभ हैं.’’ उन्होंने कहा कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की सामान्य बीमा कंपनी यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस का निजीकरण करने की योजना बना रही है, साथ ही भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की हिस्सेदारी बेचने की योजना भी है.
उन्होंने कहा कि एलआईसी का निजीकरण 30 करोड़ पॉलिसीधारकों को असुरक्षा में डाल देगा और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस का निजीकरण बड़े व्यवधान का कारण बनेगा तथा लगभग दो करोड़ खुदरा बीमाधारकों भविष्य को अस्थिर करेगा.
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