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पेगासस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कल, 9 याचिकाओं में की गई कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग

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SC Hearing on Pegasus: सुप्रीम कोर्ट कल पेगासस जासूसी मामले पर सुनवाई करेगा. मामले पर दाखिल कुल 9 याचिकाएं चीफ जस्टिस एनवी रमना और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच के सामने लगी है. सभी याचिकाओं में मामले की कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की गई है. याचिकाकर्ताओं ने यह मांग भी की है कि कोर्ट सरकार से जासूसी के आरोपों पर स्पष्टीकरण ले और भविष्य में इस स्पाईवेयर का इस्तेमाल न करने का भी आदेश दे.

सरकार कर चुकी है इनकार

केंद्र सरकार कई बार इस बात का खंडन कर चुकी है कि उसने पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया है. याचिकाओं में कोर्ट को इसकी जानकारी दी गई है. साथ ही पेगासस को बनाने वाले इजरायल के एनएसओ ग्रुप का बयान भी कोर्ट के सामने रखा गया है. एनएसओ यह कह चुका है कि वह किसी देश की सरकार को ही स्पाईवेयर बेचता है. ऐसे में याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से मांग की है कि वह सरकार से पूछे कि क्या उसने पेगासस खरीदा और उसका इस्तेमाल किया? अगर सरकार ने सीधे इसे नहीं खरीदा तो क्या उसके किसी अधिकारी ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए इसे खरीदा?

याचिकाओं में क्या कहा गया है?

इन याचिकाओं में जो सबसे प्रमुख बात कही गयी है, वह है निजता का हनन. कहा गया है कि सरकार का नागरिकों की बातों को सुनना और उनकी जासूसी करना निजता के मौलिक अधिकार का हनन है. सरकार को इस तरह से लोगों की निगरानी करने की शक्ति सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में है. लेकिन पेगासस मामले में अब तक मिली जानकारी से यही लगता है कि पूरी तरह से राजनीतिक कारणों से लोगों की जासूसी करवाई गई. सैन्य स्तर के इस स्पाईवेयर का इस्तेमाल नागरिकों पर करना अवैध और अनैतिक तो है ही. इसमें हुआ हजारों करोड़ का खर्च सार्वजनिक धन की बर्बादी है. इसकी जांच होनी चाहिए.

याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि अगर वाकई विपक्षी नेताओं, जजों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की जासूसी हुई है, तो यह सीधे-सीधे नागरिकों को गैरबराबरी की स्थिति में डालने वाली बात है. इस तरह यह न सिर्फ संविधान के अनुच्छेद 14 का हनन है, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता यानी अनुच्छेद 19 (1) (a) और सम्मान से जीवन जीने के अधिकार यानी अनुच्छेद 21 को भी प्रभावित करता है. बिना नियमों का पालन किए इस तरह की जासूसी अवैध है. इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट की कई धाराओं में यह अपराध भी है. निष्पक्ष जांच से ही सच्चाई सामने आ सकती है.

कौन-कौन है याचिकाकर्ता?

मामले में अब तक 9 याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं :-

* पहली याचिका वकील मनोहर लाल शर्मा की है.

* दूसरी याचिका सीपीएम के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास की है.

* वरिष्ठ पत्रकारों एन राम और शशि कुमार ने भी याचिका दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान या पूर्व जज के नेतृत्व में जांच की मांग की है.

* पेगासस के जरिए जिनकी कथित तौर पर जासूसी की गई है, उनमें से 5 पत्रकार भी 3 याचिकाओं के जरिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं. यह पत्रकार हैं- परंजोय गुहा ठाकुरता, एसएनएम आब्दी, प्रेम शंकर झा, रूपेश कुमार सिंह और ईप्सा शताक्षी.

* मीडिया संपादकों के समूह एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी मामले पर याचिका दाखिल की है.

* एक याचिका मध्य प्रदेश के रीवा के रहने वाले नरेंद्र मिश्रा की है.

* राजनीतिक स्वच्छता और चुनाव सुधार के लिए काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के जयदीप छोकर ने भी मामले में याचिका दाखिल की है.

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