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Tokyo Olympic 2020: भारत के लिये गुरूवार का दिन दोहरी खुशियां लेकर आया जिसमें पुरूष हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीतकर मॉस्को से शुरू हुआ 41 साल का इंतजार खत्म किया तो पहलवान रवि कुमार दहिया ने देश को तोक्यो ओलंपिक में दूसरा रजत पदक दिलाया लेकिन पदक की उम्मीद मानी जा रही विनेश फोगाट और दीपक पूनिया का ‘पोडियम’ पर पहुंचने का सपना पूरा नहीं हो पाया.
हॉकी टीम की इस शानदार जीत पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरूवार की शाम को एक साथ कई ट्वीट करते हुए कहा कि हर भारतीयों के दिलों में हॉकी के लिए एक खास जगह हैं. उन्होंने कहा कि हर हॉकी प्रेमी और खेल प्रेमी के लिए 5 अगस्त 2021 सबसे यादगार दिनों में से एक रहेगा.
Hockey has a special place in the hearts and minds of every Indian.
For every hockey lover and sports enthusiast, 5th August 2021 will remain one of the most memorable days. #Tokyo2020 pic.twitter.com/fbGGR1ZHsT
— Narendra Modi (@narendramodi) August 5, 2021
आठ बार की ओलंपिक चैंपियन और दुनिया की तीसरे नंबर की भारतीय हॉकी टीम एक समय 1-3 से पिछड़ रही थी लेकिन दबाव से उबरकर आठ मिनट में चार गोल दागकर जीत दर्ज करने में सफल रही.
आखिरी पलों में ज्यों ही गोलकीपर पी आर श्रीजेश ने तीन बार की चैम्पियन जर्मनी को मिली पेनल्टी को रोका, भारतीय खिलाड़ियों के साथ टीवी पर इस ऐतिहासिक मुकाबले को देख रहे करोड़ों भारतीयों की भी आंखें नम हो गई. हॉकी के गौरवशाली इतिहास को नये सिरे से दोहराने के लिये मील का पत्थर साबित होने वाली इस जीत ने पूरे देश को भावुक कर दिया.
इस रोमांचक जीत के कई सूत्रधार रहे जिनमें दो गोल करने वाले सिमरनजीत सिंह (17वें मिनट और 34वें मिनट), हार्दिक सिंह (27वां मिनट), हरमनप्रीत सिंह (29वां मिनट) और रूपिंदर पाल सिंह (31वां मिनट) तो थे ही लेकिन आखिरी पलों में पेनल्टी बचाने वाले गोलकीपर श्रीजेश भी शामिल हैं.
भारतीय हॉकी टीम 1980 मास्को ओलंपिक में अपने आठ स्वर्ण पदक में से आखिरी पदक जीतने के 41 साल बाद ओलंपिक पदक जीती है. मॉस्को से तोक्यो तक के सफर में बीजिंग ओलंपिक 2008 के लिये क्वालीफाई नहीं कर पाने और हर ओलंपिक से खाली हाथ लौटने की कई मायूसियां शामिल रहीं.
दुनिया की चौथे नंबर की टीम जर्मनी की ओर से तिमूर ओरूज (दूसरे मिनट), निकलास वेलेन (24वें मिनट), बेनेडिक्ट फुर्क (25वें मिनट) और लुकास विंडफेडर (48वें मिनट) ने गोल दागे. मध्यांतर तक दोनों टीमें 3-3 से बराबर थी.
भारतीय टीम ने टूर्नामेंट में अपने प्रदर्शन ने ना सिर्फ कांस्य पदक जीता बल्कि सभी का दिल भी जीतने में सफल रही. आस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे ग्रुप मैच में 1-7 की करारी हार के बावजूद भारतीय टीम अपने बाकी चारों ग्रुप मैच जीतकर दूसरे स्थान पर रही. टीम को सेमीफाइनल में विश्व चैंपियन बेल्जियम को शुरुआती तीन क्वार्टर में कड़ी चुनौती देने के बावजदू 2-5 से हार झेलनी पड़ी.
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