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गांधी को ‘महात्मा’ कहने वाले टैगोर की पुण्यतिथि आज, जानिए उनकी लिखीं प्रेरक बातें

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Rabindranath Tagore Inspirational Quotes: रवींद्रनाथ टैगोर ऐसी शख्सियत हैं जिनका नाम शायद देश का हर बच्चा जानता है. राष्ट्रगान ‘जन गण मन अधिनायक’ के रचयिता रवींद्रनाथ टैगोर की आज 80वीं पुण्यतिथि है. 7 अगस्त 1941 को उन्होंने इस संसार को त्याग दिया. वह एक बहुआयामी प्रतिभा की शख्सियत के मालिक थे. टैगोर ने कविता, साहित्य, दर्शन, नाटक, संगीत और चित्रकारी समेत कई विधाओं में प्रतिभा का परिचय दिया.

टैगोर, महात्मा गांधी का बहुत सम्मान करते थे. हालांकि, कई बार ऐसा हुआ है जब दोनों के बीच कई विषयों को लेकर अलग राय होती थी. टैगोर का दृष्टिकोण तार्किक ज्यादा होता था. टैगोर ने ही गांधी को महात्मा की उपाधि दी थी और महात्मा गांधी ने रबींद्रनाथ को ‘गुरुदेव’ की उपाधि दी थी.

रवींद्रनाथ टैगोर के प्रेरक बातें

  • किसी बच्चे के ज्ञान को अपने ज्ञान तक सीमित मत रखिये क्योंकि वह किसी और समय में पैदा हुआ है.
  • मौत प्रकाश को ख़त्म करना नहीं है; ये सिर्फ भोर होने पर दीपक बुझाना है.
  • कलाकार प्रकृति का प्रेमी है अत: वह उसका दास भी है और स्वामी भी.
  • केवल खड़े होकर पानी को ताकते रहने से आप नदी को पार नहीं कर सकते हो.
  • प्यार अधिकार का दावा नहीं करता बल्कि यह आजादी देता है.
  • हम दुनिया में तब जीते हैं जब हम इस दुनिया से प्रेम करते हैं.
  • यदि आप सभी गलतियों के लिए दरवाजे बंद कर देंगे तो सच बाहर रह जायेगा.
  • जब हम विनम्र होते हैं, तब हम महानता के सबसे करीब होते हैं.
  • फूल की पंखुड़ियों को तोड़ कर आप उसकी सुंदरता को इकठ्ठा नहीं करते.
  • मैंने स्वप्न देखा कि जीवन आनंद है. मैं जागा और पाया कि जीवन सेवा है. मैंने सेवा की और पाया कि सेवा में ही आनंद है.

रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता में हुआ था. वह 13 भाई-बहनों में सबसे छोटे थे. उनके पिता ने उनका पालन पोषण किया. बचपन से ही उन्हें लिखने का बहुत शौक था. आठ साल की उम्र में ही कविताओं की रचनाएं शुरू कर दी थी. आगे चलकर टैगोर देश के एक महान कवि, उपन्यासकार, नाटककार, चित्रकार और निबंधकार बने.

साल 1980 तक टैगोर ने कई उपन्यास, कविताएं और कहानियां लिख डाली, जिसे बंगाल के कई पब्लिशर्स ने पब्लिश भी किया. इसके बाद रवींद्रनाथ टैगोर बंगाल में काफी फेमस हो गए थे. उनकी रचनाओं की वजह से उन्हें हर कोई जानने लगा था. अपनी रचनाओं के जरिए टैगोर ने समाज के गलत रीति रिवाजों और कुरीतियों के बारे में लोगों को जागरुक भी किया.

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