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जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल शॉट कोरोना वैक्सीन को भारत में मंजूरी, अगले दो हफ्तों में उपलब्ध होगा

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Johnson and Johnson Vaccine: जॉनसन एंड जॉनसन की एक खुराक वाली कोरोना की वैक्सीन को भारत में आपातकालीन उपयोग के लिए सरकार ने मंजूरी के लिए हरी झंडी दिखा दी है. अब भारत के पास कोरोना के 5 टीके हैं. इससे देश की कोरोना के ख़िलाफ़ सामूहिक लड़ाई को और बल मिलेगा. अगले दो हफ़्तों में जॉनसन एंड जॉनसन की डोज़ भारत में उपलब्ध होने लगेगी.

ये सिंगल डोज वैक्सीन है और भारत जैसे बड़ी आबादी वाले देश के लिए वरदान के तौर पर देखी जा रही है. भारत में अब तक 50 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है और क़रीब 50 करोड़ वैक्सीन की और आवश्यकता है. अब तक देश में कॉवैक्सीन, कोविशील्ड, स्पुतनिक, मॉडर्ना और अब जॉनसन एंड जॉनसन भी उपयोग के लिए उपलब्ध होगी.

कोवैक्सीन पूरी तरह से स्वदेशी वैक्सीन है. इसे भारत बायोटेक बना रही है जबकि कोविशील्ड को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका ने तैयार किया है, भारत में इसे सीरम इंस्टीट्यूट बना रहा है, वहीं, स्पुतनिक-को रूस के गामालेया इंस्टीट्यूट ने रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड की फंडिंग से बनाया है, भारत में इसका प्रोडक्शन हैदराबाद स्थित डॉ. रेड्डी लैब कर रही है. मॉडर्ना वैक्सीन और जॉनसन एंड जॉनसन अमरीकी कम्पनी की वैक्सीन है.

कोवैक्सीन की कोरोना के खिलाफ 92 फीसदी तक असरदार साबित हुई है, वहीं, कोविशील्ड की एफिकेसी 62 फीसदी से 80 फीसदी के बीच है. हालांकि, अब तक मिले डेटा के आधार पर माना जा रहा है कि अगर कोविशील्ड की दो डोज को दो से तीन महीने के अंतर से लगाया जाता है तो ये वैक्सीन 90 फीसदी तक प्रभावी है. जबकि, स्पुतनिक की एफिकेसी 91.60 फीसदी तक है, मॉडर्ना की एफ़ीकेसी भी 95 फीसदी तक दर्ज की गयी है जबकि अब भारत में उपयोग के लिए उपलब्ध होने वाली जॉनसन एंड जॉनसन की एफ़ीकेसी भी 95 फीसदी तक दर्ज की गयी है.

कोवैक्सीन पारंपरिक तरीके से बनी है, यानी, इसमें डेड वायरस को शरीर के अंदर डाला जाता है, जिससे शरीर वायरस को पहचानने और उसके खिलाफ एंटीबॉडी बनाता है. वहीं, कोविशील्ड और स्पुतनिक दोनों ही एडिनोवायरस पर आधारित वैक्सीन हैं. फर्क बस ये है कि स्पुतनिक के दोनों डोज अलग-अलग वायरस से बने हैं और कोविशील्ड के दोनों डोज में कोई अंतर नहीं है, तीनों ही वैक्सीन दोनों डोज वाली हैं.

दो डोज के बीच सबसे ज्यादा अंतर कोविशील्ड में है, जबकि सबसे कम स्पुतनिक में है. कोविशील्ड के दो डोज के बीच 12 से 16 हफ्ते का अंतर रखा गया है. कोवैक्सीन के दो डोज 4 से 6 हफ्ते के अंतर पर लगाए जा रहे हैं. वहीं, स्पुतनिक के दो डोज के बीच तीन हफ्ते यानी 21 दिन का अंतर ही रखना है, जबकि जॉनसन एंड जॉनसन के साथ ऐसी कोई दिक़्क़त नहीं है. एक डोज़ के साथ वैक्सीन की प्रक्रिया पूरी और भारत जैसे बड़ी आबादी वाले देश के लिए ये वैक्सीन वरदान साबित हो सकती है.

गोवा में एंट्री के लिए निगेटिव RT-PCR रिपोर्ट या कोविड-19 वैक्सीन सर्टिफिकेट दिखाना अनिवार्य

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