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भारत की पहली महिला पायलट सरला ठुकराल की 107वीं जयंती पर गूगल ने अनूठे अंदाज में किया याद

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Google Doodle: भारत की पहली महिला पायलट सरला ठुकराल की 107वीं जयंती के अवसर पर आज गूगल ने उनके सम्मान में डूडल (Doodle) बनाकर अनूठे अंदाज में श्रद्धांजलि दी है. इस डूडल में उनकी इस एतिहासिक उपलब्धि को दिखाया गया है. सरला ठुकराल ने साल 1936 में महज 21 साल की उम्र में विमान उड़ाकर इतिहास रच दिया था. उनके सम्मान में बनाए गए इस डूडल को आर्टिस्ट वृंदा झवेरी ने तैयार किया है. 

Google Doodle: भारत की पहली महिला पायलट सरला ठुकराल को गूगल ने ऐसे किया याद, जानिए इनके बारे में

गूगल ने कहा, “सरला ठुकराल अपने पीछे देश की सभी महिलाओं के लिए एक बड़ी मिसाल छोड़ गई हैं. यहीं वजह है कि हमने इस साल आज के दिन उनकी 107वीं जयंती के अवसर पर ये डूडल उन्हें समर्पित किया है.” साथ ही गूगल ने कहा, “महज 21 साल की उम्र में पारंपरिक साड़ी पहन सरला ठुकराल ने एक दो पंखों वाले छोटे से विमान के कॉकपिट में कदम रख अकेले अपनी पहली उड़ान भरी थी. अपने एयरक्राफ़्ट समेत आसमान की ऊंचाइयों को छूने के साथ हीं उन्होंने एक नया इतिहास रच दिया था. आइए जानते है सरला ठुकराल के बारे में. 

8 अगस्त 1914 को दिल्ली में हुआ था जन्म 

सरला ठुकराल का जन्म आज ही के दिन 8 अगस्त 1914 को दिल्ली में हुआ था. जिसके बाद वो बाद में लाहौर (पाकिस्तान) चलीं गई थी. उनके पति कैप्‍टन पीडी शर्मा एक एयरमेल पायलट थे. सरला ठुकराल ने अपने पति से प्रेरित होकर पायलट बनने की ट्रेनिंग शुरू की थी. 1936 में जब सरला ठुकराल ने पहली बार दो पंखों वाले एक छोटे से विमान को उड़ाया उस वक्‍त उनकी उम्र 21 साल थी और वो चार साल की एक बेटी की मां थीं. 

सरला ठुकराल की ये एतिहासिक उपलब्धि बस एक शुरुआत थी और वो यहीं पर नहीं रूकी. लाहौर फ्लाइंग क्‍लब की स्टूडेंट के तौर पर वो 1,000 घंटे का फ्लाइट टाइम पूरा कर पायलट का A लाइसेंस पाने में भी कामयाब रहीं. ऐसा करने वाली भी वो पहली भारतीय थीं. 

दूसरे विश्‍वयुद्ध के चलते कमर्शियल पायलट नहीं बन पाई ठुकराल

सरला ठुकराल के पति कैप्‍टन पीडी शर्मा का 1939 में हुए एक विमान हादसे में निधन हो गया था. पति की मौत के बाद ठुकराल ने कमर्शियल पायलट बनने की ठानी और इसके लिए अपनी तैयारियां शुरू कर दी. लेकिन उस समय जारी दूसरे विश्व युद्ध के चलते वो इसमें आगे नहीं बढ़ पाई और कमर्शियल पायलट बनने का उनका सपना अधूरा ही रह गया. सरला ठुकराल ने इसके बाद फाइन आर्ट और पेंटिंग की पढ़ाई लाहौर के मायो स्‍कूल ऑफ आर्ट्स से की. इसको अब नेशनल कॉलेज ऑफ आर्ट्स के नाम से जाना जाता है. 

1947 में विभाजन के बाद लौटीं भारत 

1947 में हुए भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद सरला ठुकराल वापिस भारत आ गईं. यहां दिल्ली में रहकर उन्होंने पेंटिंग का अपना काम जारी रखा और आगे चलकर ज्वेलरी और ड्रेस डिजानिंग को अपना करियर बनाया. साल 1948 में उन्होंने आरपी ठुकराल से दूसरी शादी की. उनका निधन 15 मार्च, 2008 को हुआ था. 

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