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Islamic New Year 2021 आज या कल से हो रहा शुरू, जानें- हिज्री कैलेंडर की खूबियां और महत्व

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आज से इस्लामिक न्यू ईयर शुरू होने जा रहा है. इस्लामिक कैलेंडर के मुताबि मोहर्रम के पहले दिन से नए इस्लामिक साल की शुरुआत होती है. मोहर्रम साल का पहला महीना होता है, जो कि आज से शुरू हो रहा है. आज शाम से एक मोहर्रम 1443 हिजरी की शुरुआत हो जाएगी. हालांकि चांद नहीं दिखा तो ये कल शाम यानी परसों पहला मोहर्रम होगा. लेकिन इसके आज से ही शुरू होने की संभावना ज्यादा है. आज से मोहर्रम शुरू होने के संभावना इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि इससे पिछले दो महीने शव्वाल और ज़िलकाद पूरे 30 दिन के थे. ऐसे में ये महीने 29 दिन का हो सकता है. 

ग़म का महीना है मोहर्रम
मुस्लिम मान्यताओं के हिसाब से मोहर्रम ग़म का महीना है. इस महीने में पैगंबर हज़रत मोहम्मद के नवासे हज़रत इमाम हुसैन अपने 72 साथियों के साथ शहीद कर दिए गए थे. इसलिए इस महीने में ग़म मनाया जाता है. मोहर्रम का चांद जैसे ही नजर आता है, अजादार अपने इमाम के ग़म में गमजदा हो जाते हैं. इस्लाम धर्म की मान्यता है कि इस दिन कर्बला के मैदान में हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 जानिसारों के साथ शहादत को याद किया जाता है. इस दिन ताजिया निकाला जाता है. ये ताजिया पैगंबर मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन और हजरत इमाम हसन के मकबरों का प्रतिरूप होते है.

10वें दिन होता है आशूरा 
मोहर्रम महीने का दसवां दिन आशूरा कहलाता है. यह इस्लामिक इतिहास का सबसे निंदनीय दिनों में से एक माना जाता है. आशूरा के दिन ही हिंदुस्तान समेत कई मुल्कों में मोहर्रम मनाया जाता है. इस दिन शिया मुसलमान काले कपड़े पहनकर जुलूस निकालते हैं और इमाम हुसैन ने जो इंसानियत के लिए पैगाम दिए हैं उन्हें लोगों तक पहुंचाते हैं.

मोहर्रम की अहमियत
शिया मुस्लिम समुदाय कर्बला के मैदान में शहीद किए गए हजरत इमाम हुसैन इब्न अली की शहदात पर ग़म मनाते हैं. कर्बला का मैदान इराक का एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है. हुसैन इब्न अली ने यज़ीद की सेना का अंत तक मुकाबला किया था.  आशूरा के दिन हुसैन के बहादुर बलिदान को याद किया जाता है. मान्यता है कि इसी दिन {आशूरा} मूसा और उनके अनुयायियों ने मिस्र के फिरौन पर फतह हासिल की थी.

इस्लामिक कैलेंडर के ये हैं 12 महीने

मोहर्रम
10 मोहर्रम को आशूरा मनाया जाता है.
 
सफ़र

रबी अल-अव्वल

रबी- उस्सानी

जमाद अल-अव्वल

जमादुस्सानी 

रजब

शाबान
15 शाबान को शब ए बारात मनाई जाती है.

रमज़ान
माहे रमज़ान में रोज़े रखे जाते हैं.

शव्वाल
एक शव्वाल को ईद मनाई जाती है.

ज़िलकाद 

ज़िल हिज्ज 
10 ज़िल हिज्ज को बकरीद का त्योहार मनाया जाता है.

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