राष्ट्रीय

Raaj Ki Baat: क्या यूपी में कांग्रेस की आगामी अग्नि परीक्षा को पास करवा पाएंगे ‘पीके’

[responsivevoice_button voice="Hindi Female"]

[ad_1]

Raaj Ki Baat: हिंदुस्तान की सियासत इस साल लगातार हाईवोल्टेज बनी हुई है. यहां पर उस दौर में भी दिलचस्प राजनीति का रंग फीका नहीं पड़ा जब कोरोना की मार से दुनिया थमी और ठिठकी हुई दिखती थी. साल के पहले हिस्से में बंगाल के बवाल ने धमाल मचाकर रखा और साल के उत्तरार्ध के महीनों में आगामी विधानसभा चुनावों की तपिश फिजाओं को सियासी रंग में रंगने लगी है. सियासी रण के लिए रणनीतियों का दौर शुरु हो गया है, रणनीतिकारों की मंडली मंथन पर बैठने लगी है. सबकी अपनी-अपनी चुनौतियां, सबके अपने-अपने टारगेट हैं. 

आज हम आपको बताएंगे प्रशांत किशोर से जुड़ी राज की बात. वो प्रशांत किशोर जिन्होंन कई दलों और दिग्गजों के सियासी संग्राम को विजय पथ पर अग्रणी बनाया. वो प्रशांत किशोर जो चुनाव से पहले जिस भी दल में पहुंचे उसकी जीत लगभग तय मानी जाती है. लेकिन चुनावी राजनीति का यह रणनीतिकार इस बार खुद अपने ही सियासी अरमानों के चक्रव्यूह में फंसा फंसा नजर आ रहा है…और यही राज की बात हम आपको बताने जा रहे हैं. 

राज की बात ये है कि चुनावी रणनीतिकार से आगे निकल कर अब प्रशांत किशोर मुख्यधारा की राजनीति के खिलाड़ी बनना चाहते हैं. पीके से जुड़ी एक राज की बात और है. राज की बात ये कि भले ही पीके ने कई दलों की चुनावी नैय्या पार लगाई लेकिन उनकी पसंद और प्राथमिकता में कांग्रेस है. और एक राज की बात ये भी है कि तमाम सियासी सूरमाओं के सपनों को साकार कर चुके पीके के लिए खुद को मुख्यधारा की राजनीति में सेट करने के लिए अभी कई बड़ी परीक्षाओं को पास करना पड़ेगा. खासतौर से कांग्रेस के साथ सियासी सफर को अगर पीके शुरु करना चाहते हैं तो यूपी जैसे राज्य में कांग्रेस को जिता देने जैसे दुरूह अग्निपरीक्षा का दौर उनका इंतजार कर रहा है. 

साल 2017 के यूपी विधानसभा चुनवा में सपा और कांग्रेस के गठबंधन का फॉर्मूला पीके ने सेट किया था जो बुरी तरह से फेल हुआ थे. ऐसे में राहुल तो पीके को रणनीतिकार के तौर पर दोबारा लाने के पक्ष में नहीं है लेकिन प्रियंका पीके के प्लान से प्रभावित रही हैं और उनका मानना रहा है की पीके को पलिटिकल लड़ाई में एक बार फिर से आजमाया जा सकता है. 

राज की बात ये है कि कांग्रेस को परिवारवाद से निकालने और पार्टी में बदलाव का नारा बुलंद करने वाले जी-23 नेता भी पीके को लाने के पक्ष में हैं. पार्टी के इन वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि पीके को अगर आजमाना है कि तो आगामी यूपी इलेक्शन में ही आजमा लेना चाहिए. क्योंकि आने वाले वक्त मे गुजरात विधानसभा की लड़ाई भी है ऐसे में अगर पीके सफल हुए तो यूपी मे कांग्रेस को पुनर्जीवन मिलेगा और गुजरात में सत्ता वापसी का सपना भी बुलंद हो सकता है. 

दरअसल, कांग्रेस के लिए गुजरात की सियासी लड़ाई बड़ी भी है और महत्वपूर्ण भी. हालांकि, यूपी को कांग्रेस हल्के में ले रही है ऐसा नहीं है लेकिन चूंकि वहां पर हालात 5 नंबर वाले हैं ऐसे में थोड़ी भी कामयाबी मिलती है तो उससे संतोष किया जा सकता है. लेकिन गुजरात में सीधी टक्कर बीजेपी बनाम कांग्रस ही है. ऐसे में पार्टी के वरिष्ठ नेता चाहते हैं कि पीके को यूपी में आजमा लिया जाए. इससे अंदाजा लग जाएगा कि गुजरात में उनका जादू कितना चल सकता है. और गुजरात जीते तो फिर कांग्रेस के ही नहीं पीके के सियासी अऱमानों को भी पंख लग सकते हैं. 

हालंकि, ये फैसला कांग्रेस के लिए इसलिए आसान नहीं है क्योंकि अगर जीते तो सियासी सपना पूरा होगा और अगर हारे ठीकरा राहुल प्रियंका पर फूटेगा और फजीहत फिर से हो जाएगी. 

यूपी चुनाव में अगर कांग्रेस पीके को साथ लेकर बढ़ती है तो ये परीक्षा उनके लिए भी होगी क्योंकि उनका फ्यूचर प्लान कांग्रेस के साथ ही आगे बढ़ने का है. ऐसे में यूपी जैसे राज्य में अगर वो कांग्रेस को सफलता दिलवा पाते हैं तो हो सकता है कांग्रेस में उनकी वो जगह बन जाए जिसकी उन्हें चाहत है. 

राज की बात ये भी है कि टीएमसी और एनसीपी जैसी पार्टियां पीके के लिए पलक पावड़े बिछाए बैठी हैं और उधर का रुख पीके करें तो उन्हें आसानी से राज्यसभा की सीट भी मिल जाएगी बावजूद इसके पीके का प्रयास कांग्रेस के लिए ही जारी है. ऐसे में जी-23 के नेता ये भी मानते हैं कि अगर पीके कांग्रेस को लेकर इतने आसक्त हैं तो इसका मतलब ये हुआ कि उन्हें कांग्रेस पार्टी में अच्छी संभावना दिखती है.

वर्तमान हालात जैसे है उसमें पीके को कांग्रेस की जरूरत है और कांग्रेस को पीके की. अब देखने वाली बात होगी कि ये साथ बन पाता है या नहीं और अगर बनता है तो फिर कितना आगे तक जाता है. लेकिन सवाल ये भी बना हुआ है कि आखिर पीके कांग्रेस में ही क्यों जाना चाहते हैं और सवाल ये भी है कि क्या कांग्रेस की आगामी अग्नि परीक्षा को पीके पास करा पाएगें. क्योंकि अगर पीके यूपी में कांग्रेस के लिए कोई कमाल रचते है तभी उनके सियासी सपनों की नैय्या पार लगने की संभावना बुलंद हो पाएगी.

[ad_2]

Source link

Aamawaaz

Aam Awaaz News Media Group has been known for its unbiased, fearless and responsible Hindi journalism since 2018. The proud journey since 3 years has been full of challenges, success, milestones, and love of readers. Above all, we are honored to be the voice of society from several years. Because of our firm belief in integrity and honesty, along with people oriented journalism, it has been possible to serve news & views almost every day since 2018.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button