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शिकागो। हिंदू धर्म के सच्चे मूल्यों की रक्षा की आवश्यकता पर जोर देते हुए उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि कुछ लोग हिंदू शब्द को ‘‘ अछूत’’ तथा ‘‘असहनीय’’ बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद जैसे संतों की दिखाई राह पर चलकर हिंदू धर्म के सच्चे मूल्यों की रक्षा करने की जरूरत है ताकि ‘‘अल्प-जानकारी’’ के कारण बनी राय को बदला जा सके।
यहां द्वितीय विश्व हिंदू कांग्रेस (डब्ल्यूएचसी) के समापन सत्र को संबोधित करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि भारत वैश्चिक सहिष्णुता में विश्वास रखता है और सभी धर्मों को स्वीकार कर ता है।
तीन दिवसीय डब्ल्यूएचसी का समापन समारोह उसी दिन हुआ जब 125 वर्ष पहले शिकागो में वर्ष 1893 में स्वामी विवेकानंद ने ऐतिहासिक भाषण दिया था। ।इसमें करीब 60 देशों से 250 वक्ता और 2,500 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
नायडू ने हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण पहलुओं को रेखांकित करते हुए कहा कि हिंदू दर्शन के मूल में है साझा करना और देखभाल करना। उन्होंने इस बात पर दुख जताया कि (हिंदू धर्म के बारे में) बहुत दुष्प्रचार किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘ कुछ लोग हिंदू शब्द को अछूत और असहनीय बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए मौजूदा परिदृश्य में उन मूल्यों को साफ-साफ देखने की जरूरत है जो इन विचारों को सही रूप में प्रस्तुत कर सकें और विश्व के समक्ष इन्हें पूरे प्रामाणिक रूप में ला सकें,’’ विश्वसनीय दृष्टिकोण आने से विकृति और गलत नजरिए अपनी पकड़ नहीं बना सकेंगे।
उप राष्ट्रपति ने यह स्वीकार किया कि समाज में कुछ खामियां आई हैं जिनसे समाज सुधारकों को निबटने की जरूरत है।उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म प्रकृति के साथ तालमेल में रहना सिखाता है और ‘‘ इस अमूल्य धरोहर को सच्चा राष्ट्रवाद ही सुरक्षित रख सकता है।