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पूरा देश इस साल अपने 75वें स्वतंत्रता दिवस की तैयारी कर रहा है. भारत में इस मौके पर लालकिले पर प्रधानमंत्री राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराते है, प्रधानमंत्री के अलावा पूरे देश भर में तिरंगा फहराया जाता है. पर क्या आपको पता है कि राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराने के कुछ नियम होते हैं? खास बात यह है कि अगर आप इन नियमों को माने बिना झंडा फहराते हैं या फहराने की सोच रहे हैं तो आप मुसीबत में भी पड़ सकते हैं और आपको आर्थिक दंड के साथ-साथ जेल तक हो सकती है.
दरअसल साल 2002 में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराने के लिए कुछ नियम बने जिसे हम भारतीय ध्वज संहिता के नाम से जानते हैं. इस संहिता में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराने के सभी नियम, औपचारिक दिशा-निर्देश को बारीकी से बताया गया है. इस संहिता को भारत के गणतंत्र दिवस के मौके पर 26 जनवरी 2002 को लागू किया गया था.
राष्ट्र ध्वज फहराने के पहले ध्यान रखें यह बातें
- तिरंगा कभी उल्टा नहीं फहराना चाहिए
- तिरंगा हमेशा सूती, सिल्क या खादी का होना चाहिए. प्लास्टिक का झंडा फहराने पर सजा का प्रावधान है
- झंडा फहराने के पहले अच्छी तरह से देख ले कि वह फटा या क्षतिग्रस्त न हो, इसके अलावा झंडा का रंग भी उड़ा नहीं होना चाहिए
- भारतीय ध्वज पर कुछ भी लिखना या बनाना कानूनन अपराध है
- झंडा जमीन को कभी छूना नहीं चाहिए
- जब झंडा फहराएं तो उसके बगल में उससे ऊंचा कोई झंडा न फहराएं
- अगर झंडा फट जाए या रंग उतर जाए तो इसे जल में प्रवाहित कर दें
- झंडे का प्रयोग कभी कपड़े बनाने में नहीं किया जा सकता है
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