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क्या उद्धव ठाकरे के छोटे बेटे तेजस ठाकरे भी रखेंगे राजनीति में कदम

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मुंबई: महाराष्ट्र की सियासत पर चर्चा बिना ठाकरे नाम के जिक्र के अधूरी है. बीते 5 दशकों से इस परिवार ने राज्य की सियासत में अपनी दखल रखी है और उसे शक्ल भी दी है. पीढी दर पीढी ये परिवार राजनीति से जुड़ा रहा है. इसी कड़ी में अब एक और नाम की चर्चा हो रही है. 

महाराष्ट्र की राजनीति बीते पांच दशकों से ठाकरे और पवार इन दो घरानों के इर्द-गिर्द होती रही है. पीढी दर पीढी इन परिवारों से राज्य की सियासत को नये चेहरे मिलते आये हैं. इसी कड़ी में अब एक नये नाम की चर्चा हो रही है और वो है तेजस ठाकरे की. 

तेजस शिव सेना के अध्यक्ष और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के छोटे बेटे हैं. बीते 7 अगस्त को सामना अखबार में उनकी तस्वीर के साथ छपे एक विज्ञापन ने राज्य की सियासत में खलबली मचा दी और इस बात की चर्चा छेड़ दी कि क्या तेजस भी राजनीति में कदम रखने वाले हैं. 

तेजस ठाकरे की तस्वीर वेस्ट इंडीज के क्रिकेटर सर विव रिचर्ड्स के साथ छपी और लिखा गया कि ठाकरे परिवार का विवियन रिचर्ड्स. मौका था तेजस के 26वें जन्मदिन का. विज्ञापन छपवाया था शिव सेना के सेक्रेटरी और उद्धव ठाकरे के दाहिने हाथ मिलिंद नार्वेकर ने. 

तेजस की तुलना रिचर्ड्स के साथ क्यों की गई है इसे पूछने पर नार्वेकर ने एबीपी नेटवर्क के मराठी चैनल एबीपी माझा से कहा, “आदित्य ठाकरे सुनील गावस्कर की तरह धैर्यवान हैं लेकिन तेजस विवियन रिचर्ड्स की तरह आक्रमक और निर्णायक व्यकित्तव के हैं.” नार्वेकर ने ये भी साफ किया कि विज्ञापन देने के पीछे उनका मकसद सिर्फ जन्मदिन की शुभकामना देना था और इसका कोई राजनीतिक मतलब नहीं निकाला जाना चाहिये. 

…लेकिन राजनीतिक मतलब तो निकाला जायेगा ही. उद्धव ठाकरे के दाहिने हाथ की ओर से विज्ञापन दिया जाना और उसका पार्टी के मुखपत्र सामना में छपना एक संदेश के तौर पर देखा जा रहा है कि देर सबेर एक नये ठाकरे की महाराष्ट्र की सियासत में एंट्री हो सकती है. 

तेजस ठाकरे रश्मी और उद्धव ठाकरे के दूसरे बेटे हैं और अब तक वे राजनीति से दूर रहे हैं. उनकी रूचि वाईल्ड लाईफ फोटोग्राफी और रिसर्च में रही है. केकडों की ग्यारह प्रजातियां और सांप की एक प्रजाति खोजने का श्रेय तेजस को मिला है. आमतौर पर तेजस खुद को सार्वजनिक समारोहों से दूर रखते आये हैं. साल 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले जब उनके भाई आदित्य ठाकरे वर्ली विधानसभा सीट से नामांकन करने गये थे तब तेजस उनके साथ नजर आये थे. तेजस आमतौर पर मीडिया के कैमरों से खुद को दूर रखते हैं. 

केशव ठाकरे यानी जिन्हें कि प्रबोधनकार के नाम से भी जाना जाता है के वक्त से ठाकरे परिवार सार्वजनिक जीवन में रहा है. प्रबोधनकार ठाकरे समाजसेवी थे. उनके बेटे बाल ठाकरे ने शिव सेना की स्थापना की. बाल ठाकरे के बेटे उद्धव ने उनके बाद पार्टी की कमान संभाली और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने. उद्धव के बड़े बेटे आदित्य कैबिनेट मंत्री हैं और अब चर्चा हो रही है आदित्य के छोटे भाई तेजस की. उधर ठाकरे परिवार की दूसरी शाखा भी राज्य की सियासत में अपना अस्तित्व बनाये रखने की जद्दोजहद में है जिसके मुखिया हैं राज ठाकरे. 

राज ठाकरे बाल ठाकरे के भतीजे हैं. उद्धव और राज ठाकरे की राजनीति में एंट्री 90 के दशक की शुरुआत में लगभग एक साथ ही हुई थी, लेकिन आगे चलकर राज ठाकरे ने देखा कि पार्टी में उदधव का वर्चस्व बढ रहा है और उन्हें साईड लाईन किया जा रहा है. राज ठाकरे को ये भी अहसास हो गया कि बाल ठाकरे अपना सियासी वारिस उनके बजाय उद्धव को चुनेंगे. ऐसे में उन्होने अपनी अलग राह पकड़ने का फैसला किया. राज ठाकरे ने शिव सेना छोड़ दी और 2006 में अपनी नयी पार्टी खड़ी की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना. 

साल 2009 में जब मनसे ने मराठीवाद का मुद्दा लेकर पहला विधानसभा चुनाव लड़ा, तब उसे महज 13 सीटें मिलीं, लेकिन इन नतीजों ने शिव सेना को झकझोर कर रख दिया. कई सीटों पर मनसे उम्मीदवारों की वजह से शिव सेना की हार हुई. यहां तक कि जिस माहिम विधान सभा सीट में शिव सेना भवन है और जो शिव सेना का अभेद गढ माना जाता रहा है वहां भी मनसे का उम्मीदवार जीत गया. ये कहा जाने लगा कि शिव सेना का अस्तित्व खातमे की ओर है और मनसे ही अब नयी शिव सेना होगी. ….लेकिन ऐसा हुआ नहीं. मनसे की 2009 वाली हवा फिर नही चली. उसके बाद हुए विधानसभा चुनावों में मनसे एक सीट से ज्यादा नहीं जीत पायी. 

उद्धव ठाकरे की तरह ही राज ठाकरे ने भी अपने बेटे को हाल ही राजनीति में लांच किया है. 29 साल के अमित ठाकरे भी अब राजनीति के गुर सीख रहे हैं. अपने पिता के साथ पार्टी नेताओं की बैठक करते हैं और रणनीति बनाने में हिस्सा लेते हैं. 

अपने पिता राज ठाकरे और दादा बाल ठाकरे की तरह अमित ठाकरे भी कार्टूनिस्ट हैं. माना जाता है कि उनकी राजनीति में एंट्री पहले ही हो जानी थी लेकिन सेहत के कारणों से इसमें देरी हुई. वैसे तो साल 2019 में अमित ने अपने पिता के साथ चुनाव प्रचार में हिस्सा लिया था, लेकिन उन्हें ठोस जिम्मेदारी अब दी जा रही है. साल 2022 में नासिक महानगरापालिका पर फिर एक बार मनसे का झंडा फहराने की जिम्मेदारी राज ठाकरे ने अमित को दी है. महाराष्ट्र भर में नासिक ही एकमात्र ऐसी महानगरपालिका थी जहां एक बार मनसे का महापौर बैठ सका था. 

अगले साल मुंबई समेत महाराष्ट्र की 10 महानगरपालिकाओं के चुनाव होने  रहे हैं. सियासत में ठाकरे परिवार की नयी पीढी के लिये ये चुनाव दोहरी अहमियत रखते हैं. उनके लिये ये चुनाव एक परीक्षा भी होंगे और सीखने का मौका भी. 

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