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कल्याण सिंह के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुए अखिलेश-मुलायम, अब BJP ने साधा निशाना

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Kalyan Singh Death: पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन के मौक़े पर सपा-कांग्रेस नेताओं की ग़ैर मौजूदगी के चलते समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव भाजपा के निशाने पर आ गए हैं. सभी ने एक सुर में सपा और कांग्रेस की निंदा की और कल्याण सिंह को पिछड़ों का सबसे बड़ा नेता बताते हुए अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होने पर सवाल खड़े किए. यह भी दावा किया कि अखिलेश और कांग्रेस के इस कृत्य से प्रदेश भर के पिछड़ों में गुस्सा है. यह भी कहा कि कल्याण के अंतिम संस्कार से किनारा करने को पिछड़ी जातियों का अपमान माना जा रहा है.

लम्बी बीमारी के चलते पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का बीती शनिवार की रात निधन हो गया था. बीते क़रीब दो महीने से लखनऊ के एसजीपीजीआई में उनका उपचार चल रहा था. कल्याण सिंह के निधन के बाद तीन दिनों के अंतिम संस्कार कार्यक्रमों में जहां पूरा प्रदेश और देश उमड़ पड़ा वहीं मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी जैसे नेताओं के शामिल न होने से भाजपा और ख़ासकर भाजपा के पिछड़ी जाति के मंत्रियों ने सपा और कांग्रेस को आड़े हाथों लिया है. 

इनका कहना है कि विपक्षी दलों के इस रवैए से पिछड़े समाज को आघात पहुंचा है. ग़ौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तीन दिनों तक एक-एक पल पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पार्थिव शरीर और उनके परिवार के साथ रहे. श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या ने कहा है कि सपा और कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व सामान्य शिष्टाचार भी भूल गया है. उन्होंने केवल पिछड़ों, दलितों के वोट लिए हैं लेकिन कभी भी दलितों और पिछड़ों को सम्मान देने का काम नहीं किया है. 

उन्होंने कहा है कि समय आने पर सपा और कांग्रेस को दलित समाज इसका जवाब जरूर देगा. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह के निधन पर जहां पूरा प्रदेश और देश श्रद्धा समुन अर्पित करने के लिए उमड़ रहा था. लखनऊ से लेकर अलीगंढ, अतरौली, नरौरा घाट पर अंतिम संस्कार में जिस तरह से जनसैलाब उमड़ा. प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री रहीं मायावती समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री पहुंचे. वहीं पर उत्तर प्रदेश की सरजमी से जुड़े हुए मुलायम सिंह जिन्हें कल्याण सिंह अपना अभिन्न मित्र मानते थे, वो अंतिम दर्शन तक को नहीं आए.

2003 में कल्याण सिंह जी के सहयोग से मुलायम मुख्यमंत्री बने थे. लेकिन उनके निधन पर शोक संवेदना व्यक्त करने के लिये मुलायम सिंह, अखिलेश यादव और कांग्रेस के नेतृत्व का कोई नेता नहीं पहुंचा. यह कहीं न कहीं इस बात को दर्शाता है कि पिछड़ों के नेता का सम्मान अखिलेश यादव बर्दाशत नहीं कर पाए.
 
उन्नाव के सांसद साक्षी महाराज ने कहा है कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व राजनीति में नैतिक मूल्यों को भूल चुका है. उन्होंने कहा है कि उनसे अच्छी तो बहन मायावती निकल गईं, जिन्होंने आकर श्रद्धा सुमन अर्पित किये और अंतिम यात्रा में न पहुंचकर अखिलेश यादव ने कल्याण सिंह के लिये बहुत ही निंदनीय और घृणित व्यवहार किया है. ये ओबीसी और दलितों का बहुत बड़ा अपमान है. उन्होंने कहा कि सदियों में कभी-कभी कल्याण सिंह जैसे नेता पैदा होते हैं और हम अतीत के झरोखे में झांक कर देखें. तो कल्याण सिंह का स्थान कहां था और मुलायम सिंह का स्थान कहां था, लेकिन इस दो दिन में जो समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने किया है वो गलत है. उन्होंने विपक्षी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से कहा है कि अगर उनके अंदर नैतिकता है तो वो राष्ट्र से क्षमा मांगें नहीं तो उनको आने वाले चुनाव में इसका प्रभाव देखने को मिलेगा.
 
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा है कि अखिलेश यादव अपने आवास से मात्र एक किमी दूर माल एवेन्यू में कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि देने नहीं आ सके. कहीं मुस्लिम वोट बैंक के मोह ने उन्हें पिछड़ों के सबसे बड़े नेता को श्रद्धांजलि देने से तो नहीं रोक लिया? उन्होंने सपा और कांग्रेस के शीष नेतृत्व के इस कृत्य को घिनौना बताया है.

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