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WHO ने भारतीय महिलाओं को लेकर एक बड़ी सूचना दी है. उन्होंने बताया है कि भारत में महिलाएं औसतन 60 साल तक स्वस्थ जीवन जीती हैं. इसके बाद उनमें कई तरह की बीमारियां, इंजरी होती है. यह दक्षिण पूर्व एशिया के 11 देशों के मुकाबले में सबसे कम है.
वहीं पुरुषों के मामले में तिमोर लेस्ते और म्यांमार केवल दो ऐसे देश हैं, जो स्वस्थ जीवन प्रत्याशा के मामले में काफी बदतर है.
इसकी एक स्पष्ट वजह जो इसमें अपना योगदान देता है वह है पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर जो इन देशों में काफी अधिक है, इस मामले में तिमोर लेस्ते और म्यांमार भारत से फिर से बदतर स्थिति में है.
सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज और स्वास्थ्य से संबंधित सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में क्षेत्र की प्रगति पर हाल ही में जारी डब्ल्यूएचओ रिपोर्ट में डेटा से ये गंभीर बाते निकलकर सामने आती हैं.
इन देशों का प्रदर्शन रहा शानदार
इस क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन वाले देशों, श्रीलंका, थाईलैंड और मालदीव है. यहां कुल सरकारी खर्च के शेयर में स्वास्थ्य मामलों के खर्च में सबसे ऊपर है. इसके विपरीत, कुल सरकारी खर्च में स्वास्थ्य पर खर्च का अनुमानित हिस्से में भारत (3.4%), बांग्लादेश (3%) और म्यांमार (3.5) में सबसे कम है.
नतीजतन, इन तीन देशों में, आउट-ऑफ-पॉकेट खर्च, यानी कि लोग अपनी बचत से खर्च कर रहे हैं, जहां भारत में 63% और म्यांमार में 76% के बीच है, जबकि थाईलैंड में सिर्फ 11% है.
इस स्थिति को देखते हुए, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि बांग्लादेश और भारत में भी उनकी आबादी का अनुपात क्रमशः 7% और 4.2% है, जो स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च करने के कारण गरीबी में धकेले जा रहे हैं. बांग्लादेश में लगभग एक चौथाई आबादी और भारत में 17% से अधिक को स्वास्थ्य देखभाल के कारण विनाशकारी खर्च का सामना करना पड़ता है.
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