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यूपी चुनाव में कांग्रेस के सामने संकट, क्या बचा पाएंगी जीती हुई सात विधानसभा सीटें

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Raaj Ki Baat: चुनावी सियासत में रणनीति अहम होती है, लेकिन उतनी ही अहम होती है प्रतिद्वंद्वी की रणनीति की काट. चुनाव यदि उत्तर प्रदेश जैसे सूबे में हो तो रणनीतियों की जंग और ज़्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है. तो राज की बात में इसी रणनीतिक युद्धकौशल की करते हैं बात. लड़ाई हाशिये पर जा चुकी कांग्रेस की साख वापस लाने की कोशिशों और बीजेपी की पूरी तरह कांग्रेस को समेट देने की रणनीति की है.

उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए तैयारियां शुरू हो गयी हैं. अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की पहले नंबर की पार्टी यानी भारतीय जनता पार्टी और मौजूदा समय में चौथे नंबर की पार्टी यानी कांग्रेस के बीच रणनीति का संघर्ष भी सामने आएगा. कांग्रेस की ओर से रणनीति बनाने का जिम्मा देश में कई बार अपनी रणनीति को लेकर अपनी उपयोगिता साबित कर चुके प्रशांत किशोर ने संभाला है तो भारतीय जनता पार्टी की ओर से श्रेष्ठ रणनीति पहले भी कई बार साबित की जा चुकी है.

2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपनी रणनीति को सही साबित करते हुए पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी. कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था और महज 114 सीटों पर चुनाव लड़ना स्वीकार कर लिया था. 2017 में भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा की 312 सीटें जीतकर तीन चौथाई सीटों के साथ सरकार बनाई थी. इसके विपरीत 114 सीटों पर लड़ने वाली कांग्रेस महज 7 सीटों पर सिमट गई थी. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 49 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी.

राज की बात है कि इस बार की चुनावी रणनीति उन सीटों पर पूरा फोकस कर विधानसभा में धमक जमाने की. इनके अलावा कांग्रेस 37 सीटों पर तीसरे स्थान पर रही थी. इस तरह कांग्रेस कुल मिलाकर जीती और दूसरे नंबर वाली सीटों पर उम्मीद की किरण देख रही है. कपहले व दूसरे स्थान वाली 56 सीटों को हर हाल में जीतने की रणनीति बनाई जा रही है. इसीलिए प्रशांत किशोर सहित कांग्रेस के शीर्ष रणनीतिकारों ने उत्तर प्रदेश के सभी कांग्रेसी महारथियों को चुनाव मैदान में उतारने का प्रस्ताव किया है.

राज की बात है कि अगर पीके की चली तो प्रियंका भी विधानसभा चुनाव लड़ सकती हैं. ये तो तय है कि कि प्रदेश कांग्रेस के सभी दिग्गज इस बार चुनाव मैदान में दिखाई देंगे. रायबरेली, अमेठी, कानपुर से प्रतापगढ़ व बनारस तक कांग्रेस चुनाव में पूरी ताकत झोंक देना चाहती है. इसके लिए अभी से तैयारियां शुरू हो गई हैं.

राज्य में लगभग भूमिका विहीन हो चुकी कांग्रेस वापसी की कोशिशों में जुटी है वही भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस मुक्त उत्तर प्रदेश के नारे के साथ चुनाव मैदान में जाने की रणनीति बनाई है. भारतीय जनता पार्टी अगले वर्ष के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को शून्य सीटों पर समेट देने का लक्ष्य लेकर मैदान में उतरेगी. इसके लिए भारतीय जनता पार्टी उन सभी सीटों पर बेहद मजबूत उम्मीदवार उतारने जा रही है जहां कांग्रेस पहले या दूसरे स्थान पर रही थी. इसके लिए सांसदों की भी सीधी जवाबदेही सुनिश्चित की जा रही है.

इन स्थितियों में अगला विधानसभा चुनाव रणनीतियों के संग्राम का भी होगा. भारतीय जनता पार्टी चुनाव में कांग्रेस को शून्य सीटों पर पर पहुंचाने के लक्ष्य को पाने के लिए हर संभव प्रयास करेगी. वही कांग्रेस के सामने 7 सीटे बचाने के साथ नई सीटें जीतने की चुनौती भी होगी ताकि वह उत्तर प्रदेश में अपने अस्तित्व को जीवित रख सके.

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